पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे लोकप्रिय, स्वास्थ्य, शांति और सामान्य कल्याण के लिए माना जाता है शुभ
रूपनगर (पंजाब) | एस्ट्रोलोजर अनिल कौशल
(Beyond Belief: How Rudraksha Beads Offer Spiritual and Scientific Benefits) सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, और इस दौरान रुद्राक्ष धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न हुआ है, इसलिए इसे धारण करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। लेकिन, रुद्राक्ष धारण करने के कुछ विशिष्ट नियम और विधि होती है, जिनका पालन करना आवश्यक है ताकि आपको पूर्ण लाभ मिल सके।

रुद्राक्ष का चयन
मुखी का चुनाव: रुद्राक्ष कई मुखों (लाइनों) में आते हैं, और प्रत्येक मुखी का अपना विशिष्ट महत्व होता है। अपनी आवश्यकता और उद्देश्य के अनुसार सही मुखी रुद्राक्ष का चयन करें।
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पंचमुखी रुद्राक्ष: यह सबसे सामान्य और लोकप्रिय है, जो स्वास्थ्य, शांति और सामान्य कल्याण के लिए शुभ माना जाता है। सावन में इसे धारण करना अत्यंत लाभकारी है।
एक मुखी रुद्राक्ष: दुर्लभ और मोक्ष व आध्यात्मिक उन्नति के लिए।
दो मुखी रुद्राक्ष: संबंधों में सामंजस्य के लिए।
सात मुखी रुद्राक्ष: धन और समृद्धि के लिए।
असली रुद्राक्ष: यह सुनिश्चित करें कि आप असली और प्राकृतिक रुद्राक्ष ही खरीदें। नकली रुद्राक्ष से बचें, क्योंकि वे अपेक्षित लाभ नहीं दे पाएंगे।

धारण करने का शुभ समय
सावन के सोमवार: सावन के प्रत्येक सोमवार रुद्राक्ष धारण करने के लिए अत्यंत शुभ दिन होते हैं।
सावन की शिवरात्रि: सावन में आने वाली शिवरात्रि रुद्राक्ष पहनने के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है।
प्रदोष व्रत: प्रदोष व्रत के दिन भी रुद्राक्ष धारण करना शुभ फलदायी होता है।
सुबह का समय: रुद्राक्ष धारण करने के लिए सुबह स्नान के बाद का समय सबसे उत्तम माना जाता है, जब मन शांत और वातावरण सकारात्मक होता है।
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रुद्राक्ष को शुद्ध और अभिमंत्रित करने की विधि (प्राण-प्रतिष्ठा)
रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उसकी शुद्धि और प्राण-प्रतिष्ठा (ऊर्जावान बनाना) अत्यंत आवश्यक है। यह प्रक्रिया रुद्राक्ष को दैवीय ऊर्जा से भर देती है।
सफाई: सबसे पहले रुद्राक्ष को हल्के गर्म पानी से अच्छी तरह साफ कर लें ताकि उस पर जमी गंदगी निकल जाए।
पंचामृत स्नान: एक कटोरी में दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल (या शुद्ध जल) मिलाकर पंचामृत बनाएं। इस पंचामृत में रुद्राक्ष को कुछ देर (लगभग 10-15 मिनट) के लिए डुबोकर रखें।
शुद्ध जल से स्नान: पंचामृत से निकालने के बाद रुद्राक्ष को साफ गंगाजल या शुद्ध जल से धो लें।
सुखाना: रुद्राक्ष को किसी साफ, मुलायम कपड़े से पोंछकर सुखा लें।
मंत्र जाप और प्रतिष्ठा
अपने पूजा स्थल या शिवलिंग के पास एक साफ आसन बिछाकर बैठ जाएं।
एक लाल कपड़ा बिछाकर उस पर रुद्राक्ष को रखें।
घी का एक दीपक जलाएं और धूपबत्ती लगाएं।
रुद्राक्ष को अपने हाथ में लेकर या उसके सामने बैठकर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। आप जिस मुखी रुद्राक्ष को धारण कर रहे हैं, उसके विशिष्ट मंत्र का भी जाप कर सकते हैं (जैसे पंचमुखी के लिए “ॐ ह्रीं नमः”)।
इस दौरान भगवान शिव का ध्यान करें और रुद्राक्ष में उनकी शक्ति का आह्वान करें।
आप किसी योग्य पंडित से भी रुद्राक्ष की प्राण-प्रतिष्ठा करवा सकते हैं।

रुद्राक्ष धारण करने के नियम
धागा: रुद्राक्ष को हमेशा लाल या पीले रंग के धागे में पिरोकर धारण करना चाहिए। इसे चांदी या सोने में जड़वाकर भी पहन सकते हैं। काले धागे का प्रयोग वर्जित है।
स्थान: रुद्राक्ष को गले में या दाहिने हाथ की कलाई में धारण करना सबसे शुभ माना जाता है। माला के रूप में धारण करने पर रुद्राक्षों की संख्या हमेशा विषम होनी चाहिए, जैसे 27+1, 54+1 या 108+1 (एक अतिरिक्त मनका ‘सुमेरु’ के रूप में)।
पवित्रता
रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को सात्विक जीवन शैली का पालन करना चाहिए। मांस, मदिरा और अन्य तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
सोते समय रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए, खासकर यदि आप उसे माला के रूप में पहन रहे हैं। सुबह स्नान के बाद इसे दोबारा धारण करें।
शौच आदि के समय भी रुद्राक्ष को उतार देना उचित माना जाता है।
किसी भी अशुद्ध स्थान पर रुद्राक्ष को लेकर न जाएं।
श्रद्धा और विश्वास: रुद्राक्ष को सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ धारण करें। तभी आपको इसके पूर्ण लाभ प्राप्त होंगे।
रुद्राक्ष की देखभाल
रुद्राक्ष को समय-समय पर साफ करते रहें।
कुछ समय बाद इसे घी और दूध में डुबोकर फिर से कंडीशन किया जा सकता है, जिससे यह खराब न हो और इसकी चमक बनी रहे।
सावन में इन नियमों का पालन करते हुए रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है, नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती हैं और मन को शांति मिलती है। यह एक शक्तिशाली आध्यात्मिक कवच का कार्य करता है।
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