तंत्र
किसी संकट अथवा समस्या से निजात पाने के लिए तंत्र का सहारा लिया जाता है। तंत्र से बिना पूजा-पाठ व विशेष परिश्रम के कार्य हो जाता है। तंत्र में कुछ विशेष सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे : बिल्ली की जेर, हत्था जोड़ी, सियार सिंगी आदि। इन वस्तुओं के प्रयोग से हर प्रकार बंधा से मुक्ति, कार्य में सफलता तथा सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। तंत्र शिव की अजेय शक्ति है। जब कोई व्यक्ति भगवान की निष्काम भक्ति करने लगता है तो प्रभु की माया उसका इम्तहान लेती है। आठों और नवों निधियां उसके पर हाथ जोड़ खड़ी रहती हैं। लेकिन सच्चा भक्त उनकी ओर आंख उठाकर भी नहीं देखता। लेकिन जिसकी आस्था अखिर होती है वह किसी एक के प्राप्त होने पर ही अपने पथ से विचलित हो जाता है और सानों को उस के माध्यम से चमत्कार दिखाना शुरु कर देता है और तांत्रिक प्रयोगों लोगों बिस्मृता करता है। बिना पूजा-पाठ व विशेष परिश्रम के जो लोग अपना कार्य करना चाहते है वे तंत्र का सहारालेते हैं। तंत्र में प्रयोग होने वाली कुछ वस्तुओं का यहां जिक्र कर रहा हूं !
तंत्र में प्रयुक्त सामग्रियाँ
बिल्ली की जेर
यह बहुत ही दुर्लभ वस्तु है। प्रसव के बाद बिल्ली एक प्रकार की थैली त्यागती है जिसे वह खा जाना चाहती है। उसे ही बिल्ली की जेर कहते हैं। इसे तिजोरी या गल्ले में रखने से व्यापार तथा धन की वृद्धि होती है।
हत्या जोड़ी
यह हवनस्पति (एक पौधे) की जड़ में पायी जाती है। देखने में यह आपस में जुड़ी हुई दो भुजाओं जैसी लगाती है। जिसके पास यह होती है उसमें सम्मोहन कला व सुरक्षा की वृद्धि के साथ-साथ सम्पति में वृद्धि भी करती हैं भूत प्रेत आदि से रक्षा करती है।
सियार सिंगी
सियार पशु के मस्तिष्क पर कभी-कभी एक गांठ सी उभर आती है जिस पर बाल होते हैं उसे है तांत्रिक अपने पास रखते है जिससे उन्हें तांत्रिक प्रयोगों में सफलता मिलती है। जिसके पास यह होती है उसे आने वाली विपत्ति का पहले से ही अहसास हो जाता है। वह जहां भी जाता है वहां की स्थिति और वातावरण उसके अनुकूल हो जाता है। पास रखने में सम्मोहन कला, सुरक्षा व धन संपति की वृद्धि होती है। बिल्ली की जेर, सियार सिंगी व हत्था जोड़ी (त्रिशक्ति) इन तीनों वस्तुओं को इकट्ठा करके प्राण प्रतिष्ठित करने से व अपने पास रखने से अकारण हानि, दुर्घटना से बचाव व व्यवसाय बंधन से मुक्ति मिलती है। भूत-प्रेत आदि से रक्षा होती है। व्यक्ति पर तांत्रिक प्रयोगों का असर नहीं होता
एकाक्षी नारियल
जटा वाले नारियल की जटा उतारने पर तीन बिन्दु दिखाई देते हैं। मान्यता है कि इनमें से एक बिन्दु मुख और दो बिन्दु नेत्रों के प्रतीक हैं परन्तु किसी-किसी नारियल में एक ही नेत्र होता है जिसे एकाक्षी नारियल कहते हैं। यह अत्यंत दुर्लभ है। यह नारियल पवित्र और धन सम्पत्ति दायक होता है। धनतेरस व दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा में एकाक्षी नारियल रखकर पूजा की जाए तो कष्टों का नाश होकर भौतिक सुख प्राप्त होते हैं।
दक्षिणावर्ती शंख
अधिकतर शंख बायीं ओर खुलते हैं लेकिन जो शंख दायीं ओर खुलता हो उसे दक्षिणावर्ती शंख कहते हैं। दीपावली के दिन इसे भी लक्ष्मी पूजन में रख कर पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि रहती है। पूजा स्थान में रखने से विष्णु और लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
गोरोचन
इसमें वशीकरण की अदभुत शक्ति होती है। प्रेत बाधा नाश में भी गोरोचन का प्रयोग किया जाता है। तंत्र साधक इसका नाम बड़ी श्रद्धा से लेते हैं।
इन्द्रजाल
यह एक समुद्री पौधा है। जिस घर में यह होता है उस घर में भूत-प्रेत, जादू-टोना आदि का प्रभाव नहीं होता।पति पत्नी में झगड़ा नहीं होता। घर बरतथा लक्ष्मी की वृद्धि होती है।
काले घोड़े की नाल
काले घोड़े पैर से उतरी हुई नाल घर या कार्यालय के मुख्य द्वार के ऊपर U के आकार में लगाने से उस स्थान की नजर, जादू टोना व तांत्रिक प्रभाव से रक्षा होती है। काले घोड़े की नाल मंगलवार को सुबह या शनिवार को सायं समय में लगानी चाहिए।
काले घोड़े के नाल की अंगूठी
निभाव से बचने के लिए व शुभ प्रभाव की वृद्धि के लिए काले घोड़े के नाल से बनी अंगूठी बाण लिए कहा जाता है। इसे शनिवार को मध्यमा उंगली में पहनना चाहिए।
पिरामिड
किसी भी साधना में ध्यान को एकाग्रचित्त करने के लिए पिरामिड का प्रयोग किया जाता है। अन्दर से खोखला होने के कारण शुद्ध वायु को अपने अंदर एकत्रित रखता है, जिससे पिरामिड के नीचे वस्तुए अधिक समय तक सुरक्षित रहती हैं। मनोकामना की पूर्ति एवं तंत्र इत्यादि में धातु व पत्थर के पिरामिड इस्तेमाल किए जाते हैं। तांबा, पीतल एवं पंचधातु के पिरामिड अधिक लाभ देते हैं। लोहे के पिरामिड व एल्युमिनियम के पिरामिड पूजा में मान्य नहीं हैं। विभिन्न प्रकार के वास्तु दोषों में उन प्रयोग किया जाता है। किसी दिशा विशेष में दोष होने पर उस दिशा में ऊर्जा को बढ़ाने के निर रखा जाता है। लकड़ी के पिरामिड भी काफी प्रभावी रहते हैं।