भक्ति की बात: 2025 की जन्माष्टमी में क्या है खास
रूपनगर (पंजाब) | एस्ट्रोलोजर अनिल कौशल
(Krishna Janmashtami is the festival of birth celebration of Shri Krishna) जन्माष्टमी, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है, भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व है। उनका जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था, जब चारों ओर अंधकार और अत्याचार फैला हुआ था। यह त्यौहार पूरे भारत और दुनिया भर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
तिथि:
इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी 15 अगस्त 2025 (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अगस्त रात 11:49 बजे से होगी और समाप्ति 16 अगस्त रात 9:34 बजे पर होगी।
निशिता पूजा मुहूर्त: 16 अगस्त को रात 12:04 से 12:47 बजे तक रहेगा।

2025 में जन्माष्टमी का पर्व 15 और 16 अगस्त के बीच मनाया जाएगा, क्योंकि अष्टमी तिथि 15 अगस्त को शुरू होकर 16 अगस्त सुबह लगभग 10:00 बजे समाप्त होगी। इस अंतर के कारण कुछ मंदिर और घर 15 अगस्त की रात को जन्मोत्सव मना सकते हैं, जबकि द्वारका के निज मंदिर जैसे परंपरागत स्थल 16 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव मानेंगे।
🌟 जन्माष्टमी 2025 का ज्योतिषीय प्रभाव 🌟
ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन अत्यंत शुभ माना जा रहा है क्योंकि इस दिन वृद्धि योग का महासंयोग बन रहा है। यह योग कई राशियों के लिए विशेष फलदायक सिद्ध होगा।

प्रमुख ज्योतिषीय संयोग
- वृद्धि योग: यह योग समृद्धि, सफलता और मानसिक शांति का प्रतीक है। जब यह किसी शुभ दिन पर बनता है, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
- शुक्र का गोचर (21 अगस्त): जन्माष्टमी के बाद लक्ष्मी नारायण राजयोग भी सक्रिय होगा, जो आर्थिक और पारिवारिक सुख को बढ़ावा देगा.
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जन्माष्टमी की पौराणिक कथा:
- अत्याचारी राजा कंस के डर से देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया गया। कंस ने भविष्यवाणी के कारण उनके छह बच्चों की हत्या कर दी।
- सातवां पुत्र, बलराम, रहस्यमय ढंग से रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित हुआ।
- आठवें पुत्र, भगवान कृष्ण, का जन्म अष्टमी की आधी रात को मथुरा की जेल में हुआ।
- उसी रात, जेल के सभी द्वार खुले, पहरेदार सो गए, वसुदेव ने नवजात कृष्ण को यमुना पार कराया, और गोकुल में यशोदा के पास छोड़ आए।

महत्वपूर्ण अनुष्ठान:
- घर की शुद्धता: साफ-सफाई कर पूजा-स्थल को मोरपंख, फूल, पीले वस्त्रों से सजाएँ।
- बाल-गोपाल को झूला: बच्चा कृष्ण को झूले या पालने में सुसज्जित करें, भजन गाएँ और झूला झुलाएँ।
- मध्यरात्रि आरती: घी के दिये, धूप, शंख-घंटी के साथ कृष्ण आरती करें। गीतोपदेश के श्लोक पढ़ें।
- उपवास: फल, दूध, सात्विक भोजन लें; उपवास अष्टमी के अंत या आधी रात तक रखें।

कृष्ण को प्रिय भोग:
भोग वस्तु | कारण |
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माखन | कृष्ण के गोकुल के दिनों की प्रिय मिठास |
मिश्री | शुद्ध मिठास का प्रतीक |
दही | शीतल व सात्विक |
पंचामृत | पवित्र मिश्रण—दूध, दही, घी, शहद, चीनी |
खीर | मीठा चावल का हलवा—दिव्यता का स्वाद |
तुलसी | सबसे पवित्र भेंट |
छप्पन भोग (वैकल्पिक) | भक्ति के रूप में 56 विशेष पकवान |
शक्ति का मंत्र:
“कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने |
प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः ||”
इस मंत्र का जाप जीवन में शांति, शक्ति व बाधा-निवारण में सहायक है।
2025 का दोहरा अवलोकन (Double Celebration):
- कुछ स्थान 15 अगस्त की रात को, और कुछ 16 अगस्त को पारंपरिक ढंग से जन्माष्टमी मनाएँगे।
- यह पर्व न केवल एक आध्यात्मिक परंपरा है, बल्कि परिवार, भक्ति और सांस्कृतिक एकता का उत्सव भी है।
भगवद् गीता में कृष्ण की शिक्षाओं को सार्थक और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने का मार्गदर्शक माना जाता है। भक्ति और निस्वार्थ सेवा: कृष्ण का जीवन और शिक्षाएँ भक्ति, निस्वार्थ सेवा और धार्मिक जीवन जीने के महत्व पर ज़ोर देती हैं। जन्माष्टमी का पर्व हमें प्रेम, भक्ति, और धर्म की राह पर चलने का संदेश देता है।

