राशि, नक्षत्रादि व्यंजन से फलादेश
सर्वत्तोभद्रचक्र से फलादेश की संवेदनशील पंचशालकों पर ग्रहों के गोचर तथा वेधन जातक को शुभाशुभ फल प्रदान करती है। राशि, नक्षत्रादि व्यंजन का फल विस्तार से नीचे दिया गया है:
राशि जन्म कुण्डली में चंद्र राशि संवेदनशील है।
नक्षत्र – चंद्रमा जिस नक्षत्र पर जन्मकालीन बैठा है वह संवदेनशील है।
स्वर प्रत्येक नक्षत्र चरण के अक्षरों का स्वर (vowel) संवेदनशील है।
अक्षर – प्रत्येक नक्षत्र चरण में जन्मे लोगों का नामाक्षर संवेदनशील है।
तिथि जन्म दिन की तिथि संवेदनशील है।
दिन जिस दिन जन्म हुआ हो वह दिवस संवेदनशील है ।
राशि – नक्षत्रादि एवं व्यंजनों के वेधन फल
राशि
पाप एवं क्रूर ग्रहों से राशि वेध होने पर बाधा, विघ्न, रुकावट, नाना प्रकार क्षोभ, भय के कारण दूख, अत्यधिक परेशानी तथा मृत्यु तुल्य कष्ट हो। जातक की राशि जन्म कुण्डली के जिस ‘भाव में होगी उस भाव जनित भी परेशानियाँ उठानी पड़ेंगी।
इसके विपरीत शुभ एवं सौम्य ग्रहों के राशि वेधन से सूख, सफलता तथा सम्मान की प्राप्ति होती है। जातक की चंद्र राशि जिस भाव में होगी उस भाव जनित सभी शुभ एवं अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। जन्म राशि आपकी कुण्डली में लग्न जैसा फल देती है।
नक्षत्र
पापी एवं क्रूर ग्रहों के वेधन से मतिभ्रम, बुद्धिहीनता, स्वजन अहित, फेफड़ों के रोग, अन्य प्रकार से शारीरिक कष्ट, दिशा हीन प्रयासों से असफलता, चल रहे प्रयासों में बाधा तथा विफलता कुल मिला कर जबतक वेधन चलता रहेगा जातक असफल ही रहेगा।
इसके विपरीत शुभ तथा सौम्य ग्रहों का वेधन जन्म नक्षत्र पर पड़ने से शारीरिक सूख, रोग से मुक्ति, कार्यों में सफलता, सूख तथा धनादि प्राप्ति, भयमुक्ति एवं अन्य सभी प्रकार से समय अनुकूल रहेगा।
नामाक्षर
जैसा कि आप जानते हैं – जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र चरण पर होता है उस चरण के अंतरगत अक्षर निर्धारित होते हैं, जो कि जातक का प्रथम नामाक्षर कहलाता है। इस अक्षर का वेधन पाप एवं क्रूर ग्रहों से हो रहा हो तो धन हानि, परेशानी, राज्य भय, रोग, सभी प्रकार से सूख तथा मनोरंजन की हानि होगी । ताप, बुखार तथा पेट पाचन संबंधि रोग अथवा परेशानियाँ संभावित होगीं।
इसके विपरीत शुभ एवं सौम्य ग्रहों के वेधन से विशेष लाभ, धन प्राप्ति, सफलता, निर्भयता एवं सम्मान प्राप्त होगा। रोग मुक्ति तथा शारीरिक सखों में बढ़ोत्तरी होगी।
तिथि
पाप एवं क्रूर ग्रहों द्वारा तिथि वेधन हो तो भय, मानसिक तनाव, धन हानि, मतिभ्रम तथा ऊपर से गिरने का भय रहेगा।
इसके विपरीत शुभ तथा सौम्य ग्रहों के तिथि वेधन से धन, मान, यश तथा प्रतिष्ठा एवं चल अचल संपत्ति का लाभ रहेगा।
स्वर
पाप एवं क्रूर ग्रहों से स्वर का वेधन हो तो शारीरिक कष्ट, मृत्यु भय, असाध्य रोग, मूल्यवान वस्तुओं जैसे-सोना, चाँदी, जेवर आदि की हानि एवं अन्य प्रकार से कलह हो। सगे संबंधियों से झगड़े, मतभेद तथा अलगाव संभावित है
इसके विपिरित यदि स्वर वेधन शुभ तथा सौम्य ग्रहों से हो तो धन धान्य, भाग्य तथा मान सम्मान में बढ़ोत्तरी, सर्व प्रकार से सूख, सूविधा तथा प्रसन्नता रहेगी।
संक्षेप विवेचन : वेधन
जिस प्रकार मनुष्य का शरीर पाँच तत्वों से निर्मित होता है, वैसे ही हमारी जन्म कुण्डली के निर्माण में पाँच संवेदनशील व्यंजन राशि, नक्षत्र इत्यादि होते हैं। इनका ग्रहों द्वारा वेधन फल नीचे दिया जा रहा है। ध्यान से पढ़ें और समझें।
ग्रहों का वेधन फल
ग्रहों का वेध (देखना) राशि, नक्षत्र, तिथि तथा व्यंजन आदि पर दो प्रकार से फल देता है। प्रथम नैसर्गिक रूप से तथा दूसरा प्रत्येक जन्म कुण्डली में ग्रहों के स्थिति स्वभावानुसार। (यहाँ मैं पाठकों के हितार्थ नैसर्गिक फलों का ही विवचन करूँगा । पाठकगण अपनी विद्वता से फलों में और सुधार लाने हेतु जातक के जन्म कुण्डली में सूर्य से केतु तक की शुभाशुभ स्थितियों का स्वयं आंकलन कर फलादेश करें।)
नैसर्गिक वेधन फल
सूर्य
मानसिक तनाव, उद्वेग, राज्य भय, शारीरिक सिर दर्द, कष्ट, विदेश वास तथा सभी प्रकार से बाधा और कलह, दुख, भय, विरोध, धन हानि, अधिनस्थ कार्य एवं वस्तुओं की क्षति –
चंद्र वेधन फल
बली एवं शुभ चंद्र वेध से सफलता, शुभ एवं अनुकूल फलों की प्राप्ति, धन तथा मूल्यवान वस्तुओं, वाहन, चल-अचल संपत्ति एवं वस्त्रों की प्राप्ति तथा सहवास सूख, स्वादिष्ट भोजन, रोग से मुक्ति के साथ-साथ ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति है। इसके विपरीत क्षीण एवं अशुभ चंद्र वेधन से उपरोक्त फलों की हानि तथा बाधाएँ, मानसिक तनाव, शारीरिक कष्ट, राज्य भय तथा प्रतिकूल फलों की प्राप्ति होगी।
मंगल वेधन फल
धन-धान्य की हानि, ज्ञान, विद्वता तथा समझ की कमी। चल-अचल संपत्ति की हानि या न्युनता, पारिवारिक विघटन, जमीन जायदात के बँटवारे से धन नाश आदि का भय रहेगा। कार्य-व्यापार-व्यवसाय में असफलता तथा बाधा उत्पन्न करेगा। पति-पत्नी तथा संतान पक्ष से परेशानी उठानी पड़ेगी। राज्य भय, उदर रोग या कष्ट, रक्त विकार, स्वजन एवं मित्रों से परेशानी या संबंध विच्छेद | यदि मंगल शुभ प्रभाव में हो तो शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है।
बुध वेधन फल
ज्ञान, मान सम्मान, धन, चल-अचल संपति, प्रतिष्ठा, तथा राज्य लाभ, पारिवारिक सूख, रोग मुक्ति, व्यापार-व्यवसाय से लाभ नौकरों से सूख, प्रतियोगिता में सफलता, विवाह, शांति, वैभव की प्राप्ति तथा सर्व सूख एवं शुभ समाचारों की प्राप्ति होती है।यदि बुध अस्त या पाप ग्रहों से पीड़ित हो तो सर्वथा विपरीत फल जानें।
गुरु वेधन फल
धन लाभ, राज्य लाभ, वैभव, सुख-शांति, धर्म में रुचि, शारीरिक सुख, धन, मान, यश पद एवं प्रतिष्ठा की तथा पुत्र सुख की प्राप्ति होती है। इसके विपरीत यदि गुरु कुण्डली में पाप प्रभाव में हो तो राज्य भय, अपमान, विवादों में फंसना, पलायन, रोग, पत्नी तथा संतान से पीड़ा यहां तक कि मृत्यु भय 1
शुक्र वेधन फल
राज्य लाभ, दामपत्य सुख या वैवाहिक सुख, जलीय वस्तुओं से धन लाभ तथा बहुमूल्य वस्तुओं की प्राप्ति होती है। स्वर्ण, वस्त्र एवं शारीरिक सुखों में वृद्धि तथा वाहन लाभ व अन्य विभिन्न शुभ फल प्राप्त होते हैं। यदि शुक्र पाप प्रभाव में हो तो धन, वाहन तथा पशु धन हानि, सर्वकार्य बाधा, स्त्री पक्ष से मतभेद तथा सर्वथा प्रतिकूल फलों की प्राप्ति होती है।
शनि वेधन फल
शनि वेध हो तो रोग, क्षय, प्रकृत्ति से कष्ट, परिजनों से पीड़ा, विरोध अथवा स्वजनों की मृत्यु या संबंध विच्छेद देता है। मित्रों, नौकरों से धोखा एवं हानि तथा विदेश वास, पलायन, कैद, स्थान हानि, दुर्भाग्य तथा निम्न वर्गीय स्त्रियों से अपमान । मृत्यु भय, यात्रा से परेशानी या हानि, कष्टदायक रोग-चोट आदि भय रहेगा।
इसके विपरीत यदि शनि जन्म कुण्डली में शुभ हो तो वाहन, राज्य तथा चल-अचल संपत्ति की प्राप्ति होती है। जीवन में स्थिरता आती है।
राहु वेधन फल
हृदय रोग, यादास्त क्षय, भ्रम, भय, सभी तरफ से बाबा तथा विरोध, कार्यों में असफलता तथा विधवा या नीच स्त्री से लाभ या अचानक कष्ट आदि भय रहेगा। इसके विपरीत राहु कुण्डली में शुभ हो तो शनि जैसे उत्तम फल भी प्राप्त होते हैं।
केतु वेधन फल
धन-धान्य हानि, पति या पत्नी को अरिष्ट, राज्य भय आसानी से प्राप्त होने वाली वस्तुएँ भी परेशानियों से मिलेगी। शारीरिक कष्ट, अशुभ फलों की प्राप्ति हो। यदि केतु शुभ हो तो शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है।
विशेष
नैसर्गिक पाप ग्रह तथा क्षीण चंद्र एवं पाप प्रभावगत बुध अशुभ फल देंगे।इसके विपरीत नैसर्गिक पापी एवं क्रूर ग्रह यदि शुभ ग्रहों के प्रभाव से युक्त हो तो सर्वथा शुभ फल देते हैं परंतु यदि पापी ग्रहों के साथ या संपर्क के आ जाए तो घातक अशुभ परिणाम देते हैं। पाठक गण जन्म कुण्डली में ग्रहों का स्वभाव सही-सही पढ़ें तो सटीक वेध परिणाम जान सकेंगे।
ग्रहों के गोचर / वेधा फल फल समय निर्धारण
पाप ग्रह / क्रूर ग्रह जब किसी संवेदनशील नक्षत्र पर गोचर या बेधन आरंभ करते हैं तो अशुभ / प्रतिकूल घटना के घटित होने का आरंभकाल होता है तथा जब ऐसा ग्रह नक्षत्र से बाहर निकलता है या जब उसका वेधन समाप्त होता है तो उसी दिन या समय घटना घटित होती है। जब ग्रह किसी ऐसे नक्षत्र पर आने वाला या वेदन करने वाला होता है तो यह संकेत देता है कि घटना घटित होने वाली है।
इसी क्रम में शुभ / सौम्य ग्रह अपना शुभ फल प्रकट करते हैं।
जन्म नक्षत्र वेधन फल
ग्रह संख्या | पापी / क्रूर ग्रह द्वारा वेधन |
1 | भय, अस्वस्थता, असफलता, चिंता, मतिभ्रम, हानि, निराशा रिश्तेदारों से / को हानि तथा परेशानी होती है। |
2 | घातक, सगे संबंधी के मृत्यु की आशंका, भय तथा चिंता रहे। |
3 | धन हानि / व्यापार-व्यवसाय में असफलता |
4 | अस्वस्थता / मृत्यु तुल्य कष्ट |
5 | मृत्यु । |
इसके विपरीत यदि शुभ / सौम्य ग्रह जन्म नक्षत्र का वेधन करें तो फल इस प्रकार जानें।
ग्रह संख्या | सौम्य एवं शुभ ग्रह द्वारा नक्षत्र वेधन |
1 | स्वास्थ्य लाभ / सफलता तथा भाग्यवृद्धि |
2 | धन / आर्थिक लाभ, जातक भाग्यवान तथा भय मुक्त हो |
3 | लाभ / सफलता / भाग्यवान / विजय |
4/5 | विशेष आर्थिक सम्पन्नता / सफलता / उन्नति तथा समृद्धि तथा राजा तुल्य ऐश्वर्यवान होता है। |
ग्रह संख्या | पापी एवं क्रूर ग्रहों द्वारा राशि वेधन |
1 | दुःख, स्वास्थ्य संबंधी समस्या, बाधा, आरिष्ट, अशुभ घटना घटित होती है। |
2 | धन हानि / व्यापारिक या व्यवसायिक क्षति तथा सगे-संबंधियों को अरिष्ट हो |
3 | साझेदारी में समस्या / पत्नी या पति को आरिष्ट, धन हानि, स्वास्थ्य समस्यायें |
4/5 | मृत्यु अथवा मृत्यु तुल्य कष्ट / पद हानि, मान हानि, स्वास्थ्य हानि हो |
ग्रह संख्या | सौम्य एवं शुभ ग्रह द्वारा राशि वेधन |
1 | प्रसन्नता, भाग्य साथ दे, सफलता, विजय तथा खुशी के अवसर प्राप्त होते हैं। |
2 | अच्छा भाग्य, सर्व प्रकार से अच्छा फल, सफलता तथा धन लाभ तथा पारिवारिक सुखों की प्राप्ति होती है। |
3 | आर्थिक समृद्धि, सफलता, उन्नति, विजय तथा मान सम्मान |
4/5 | ।धन, मान, यश, पद तथा प्रतिष्ठा की प्राप्ति हो तथा । जातक राजा तुल्य सुख प्राप्त करे। |
नोट -जब दो ग्रह एक साथ किसी नक्षत्र से राशि स्वर अक्षर या नक्षत्रादि का वेधन करे तो फल उतनी प्रबला से (शुभ या अशुभ) प्राप्त नहीं होगा जितना अलग-अलग नक्षत्रों से किसी राशि, नक्षत्रादि का वेधन करें, तो प्राप्त होता है।
ग्रह संख्या | पापी एवं क्रूर ग्रहों द्वारा तिथि वेधन फल |
1 | मति भ्रम, हानि, ऊँचाई से गिरना, असफलता |
2 | परिवार के सदस्यों या स्वजनों से अनबन, विवाद भय तथा पराजय हो । |
3 | पति या पत्नी को अरिष्ट, संबंध विच्छेद, साझेदारी टूटना तथा आर्थिक हानि हो। |
4 | महाकष्ट, बाधा, हानि, कलह, असफलता तथा मृत्यु तुल्य कष्ट |
5 | मृत्यु, यहाँ सब कुछ समाप्त हो जावे । |
ग्रह संख्या | सौम्य एवं शुभ ग्रह द्वारा तिथि वेधन फल |
1 | धन लाभ, सफलता, सुख । |
2 | भाग्यवर्धक, धन लाभ, सफलता । |
3 | सफलता, भाग्योदय, धन लाभ, सुख तथा उन्नति हो । |
4/5 | धन वर्षा, विपुल संपत्ति की प्राप्ति, सुख, भाग्यवर्धक, सम्पन्नता, सफलता तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति हो । |
ग्रह संख्या | पापी एवं क्रूर ग्रहों द्वारा स्वर वेधन फल |
1 | स्वास्थ्य न्यूनता, धन का क्षय, असफलता, चोरी आदि का भय रहे। |
2 | स्वास्थ्य न्यूनता, धन का क्षय, असफलता, चोरी आदि का भय तथा सगे-संबंधी को से परेशानी |
3 | स्वास्थ्य न्यूनता, धन का क्षय, असफलता, चोरी आदि का भय रहे तथा सगे-संबंधी को / से परेशानी। इसके साथ-साथ पति या पत्नी या साझेदारी में हानि या राग-द्वेष | |
4/5 | धन की हानि, कलह, रोग, क्षति यहाँ तक मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट |
ग्रह संख्या | सौम्य एवं शुभ ग्रह द्वारा स्वर वेधन फल |
1 | सफलता तथा स्वास्थ्य लाभ |
2 | भाग्योदय तथा सफलता, सुख । |
3 | अर्थ लाभ, भाग्योदय, सफलता |
4/5 | आर्थिक सम्पन्नता, सफलता, समृद्धि, सुख, स्वास्थ्य लाभ। |
ग्रह संख्या | पापी एवं क्रूर ग्रहों द्वारा अक्षर वेधन फल |
1 | परेशानी, शोक, दुःख हो । |
2 | असफलता तथा धन हानि । |
3 | आर्थिक संकट, पराजय, क्षोभ, कष्ट तथा परेशानी हो |
4/5 | व्यापार संकट, रोजगार संकट, धन हानि, पराजय, पलायन, कष्ट, रोग, ऋण तथा अपमान हो मृत्यु तुल्य कष्ट । |
ग्रह संख्या | सौम्य एवं शुभ ग्रह द्वारा अक्षर वेधन फल |
1 | सुख |
2 | भाग्योदय, धन सुख, शारीरिक सुख । |
3 | आर्थिक सम्पन्नता, भाग्योदय, सफलता, सुख। |
4/5 | सफलता, व्यापारिक व्यवसायिक उन्नति, आर्थिक लाभ, सुख तथा सम्पन्नता प्राप्त हो |
विशेष राशि, नक्षत्र, तिथि, स्वर तथा अक्षर वेधन का फल कथन करते समय सदैव ध्यान रखें कि इनका नैसर्गिक गुण क्या है? इनका नैसर्गिक गुण सारांश में नीचे दिया गया है – वेधा फल ग्रह तथा नक्षत्रादि के नैसर्गिक गुणों से प्रभावित होगा ।
दिन का वेधा पाप ग्रहों से हो तो उस दिन तनाव तथा शुभ ग्रहों में से हो तो दिन अनुकूल व्यतीत होता है।
नक्षत्रों से नामाक्षर इत्यादि वेधन
नामाक्षर स्वर, राशि तथा नक्षत्रों का नैसर्गिक फल
यदि 2 या 3 पापी/ क्रूर ग्रहों द्वारा एक साथ वेधा लगे तो फल अशुभ- इसके विपरित शुभ ग्रहों द्वारा वेधा हो तो शुभ फल जाने । पापी / क्रूर तथा शुभ ग्रह एक साथ वेधा करें तो फल मिश्रित होगा ।
अशुभ तथा पापी / क्रूर ग्रहों द्वारा वेधन फल
नक्षत्र | मतिभ्रम रोग, असफलता, हताशा, निराशा । |
राशि | बाधा / शारीरिक कष्ट, व्यापारिक / व्यवसायिक असफलता, हानि |
तिथि | भय, खतरा, मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट । |
नामाक्षर | धन हानि / व्यापारिक हानि / असफलता |
स्वर | रोग, संक्रमण, मृत्यु, दुःख, असफलता । |
शुभ / सौम्य ग्रहों द्वारा वेधन फल
नक्षत्र | सफलता, उन्नति, मानसिक सबलता तथा विश्वास । |
राशि | शारीरिक सुख, व्यापारिक/व्यवसायिक लाभ । |
तिथि | निर्भयता, भौतिक सुख, स्वास्थ्य लाभ । |
नामाक्षर । | धन लाभ, व्यापारिक सफलता |
स्वर | रोग मुक्ति, सौख्य / प्रसन्नता तथा सफलता । |
विशेष
पाप ग्रह किसी एक व्यंजन वर्ण का वेधन करे तो चिंता, असुविधा देने वाला होगा, यदि किसी दो का वेधन हो (एक या एक से ज्यादा ग्रहों से) तो मानसिक चिंता, बेचैनी, भ्रम कार्यों में असफलता तथा सगे संबंधियों से को परेशानी होती है। यदि तीन व्यंजन वर्णों का वेधन हो तो धन हानि, सर्व प्रकार से परेशानी, विशेष असफलता, कलह, तथा नाश होता है। यदि पाँच में से चार व्यंजन वर्ण का वेधन हो तो रोग, भव, भारी हानि, शारीरिक कष्ट तथा दुर्भाग्य हो । पाँचों व्यंजनों तथा राशि नक्षत्रादि का बेधा पाप ग्रहों से हो तो सर्वनाश के पश्चात मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट हो ।
इसके विपरीत यदि शुभ तथा सौम्य ग्रह एक व्यंजन वर्ण का वेध करें तो सुख, सुविधा तथा संतोष प्राप्त हो, दो का वेधन करे भय से मुक्ति, सुख, सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होवे, तीन का वेधन करें तो धन लाभ, सर्व सुख विशेष सफलता तथा लाभ रहता है। चार व्यंजन का वेधन हो तो धन, मान, यश, व्यापार तथा सामाजिक प्रतिष्ठा की प्राप्ति हो। पाँचों व्यंजन का वेधन हो तो राज्य प्राप्ति, जातक राजा के समान सुखी तथा ऐश्वर्यशाली होगा।
निर्देश
वेधन का फल कथन करते समय ध्यान रखें जो ग्रह दशा में (महादशा-भुक्ति – अंतरा-शुक्ष्मा तथा प्राणा में) होंगे उन्हीं ग्रहों का वेधन फल कहें। जो ग्रह वेधन तो कर रहे हों पर दशा में नहीं होंगे वे अपना फल नहीं दे पाएँगे।
ग्रह दशा नाथ होकर जितनी देर तक व्यंजन एवं नक्षत्रादि का वेधन करेंगे उतनी देर तक हीं वेधन का फल जातक प्राप्त कर पाएगा-शुभ अथवा अशुभ फल दशानाथ ग्रह पर निर्भर होगा ।
ग्रह बल
ग्रह चाहे पापी, क्रूर, शुभ या सौम्य हो अपने वेधन का फल अपने ग्रह बल के अनुसार ही दे पाते हैं। ग्रहों के बली अथवा निर्बल होने का विचार नीचे दिये गये निर्देशानुशार करे –
शुभ ग्रह यदि स्वराशि हों अथवा स्व नवांश गत हो तो अपना फल 100% दे पाने में सामर्थ होते हैं। मित्र राशि तथा स्वनवांश में हो तो भी 100% बली होते हैं। मित्र राशिगत हो तो 75%, सम राशिगत 50% तथा शत्रु राशिगत हों तो 25% ही शुभ फल दे पाते हैं। इसके विपरीत यदि शत्रु राशि एवं शत्रुनवांश में हो तो अपना फल अंशात्मक रूप से देते हैं। पाठक गण ऐसी ग्रह स्थितियों के होने पर अपनी बुधिमता से फल निर्धारण करें।
अशुभ ग्रह यदि शत्रु राशि / नवांश में हो तो 100% अशुभ देते हैं। सम राशि में हो तो 75%, मित्र की राशि पर हो तो 50% तथा स्व राशि पर हो कर वेधा करे तो मात्र 25% ही अशुभ फल दे पाने में सक्षम होते हैं।
वक्रि ग्रह अपने मार्गी होने के समय सर्वाधिक बली होते हैं। तथा वक्रि होने पर शून्यवली से बढ़ते क्रम में सर्वाधिक बली मध्य में, फिर घिरे घिरे अल्प बल-युक्त अर्थात शून्य अवस्था पर पहुँचते हैं जब फिर से मार्गी होते हैं।
उदय ग्रह बली तथा अस्त ग्रह निर्बल होते हैं। उनके वेधन का फल वैसा ही जानें।
उच्च ग्रह 100% अपना फल दे पाते हैं।
ग्रह नैसर्गिक मित्रता का एवं शत्रुता
ग्रह सूर्य चंद्र मंगल बुध गुरु शुक्र शनि
मित्र चंद्र सूर्य सूर्य सूर्य सूर्य बुध बुध
मंगल बुध चंद्र शुक्र चंद्र शनि शुक्र
गुरु मंगल
शत्रु शुक्र बुध चंद्र बुध सूर्य सूर्य
शनि शुक्र चंद्र चंद्र
सम बुध
गुरु मंगल शुक्र मंगल
शनि मंगल गुरु शनि
गुरु गुरु शुक्र शनि शनि