Indira Ekadashi 2025: इस पावन दिन की पूजा विधि, व्रत पारण मुहूर्त और अन्य जानकारी जानें

RUPNAGAR (Punjab) | एस्ट्रोलॉजर अनिल कौशल

(Of immense religious significance for the devotees) पितृ पक्ष के दौरान मनाई जाने वाली इंदिरा एकादशी भगवान विष्णु के भक्तों के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व रखती है। इंदिरा एकादशी का व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।

2025 में यह व्रत 17 सितंबर को मनाया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु की पूजा करने से न केवल भगवान प्रसन्न होते हैं, बल्कि पितरों को भी शांति और मुक्ति मिलती है। भक्त समृद्धि, सुख और पिछले पापों से मुक्ति पाने के लिए उपवास, पूजा और दान-पुण्य करते हैं।

Indira Ekadashi 2025 Puja Muhurta : हिंदू पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी पर विष्णु पूजा का शुभ समय है:

👉 प्रातःकालीन मुहूर्त: प्रातः 6:07 बजे से प्रातः 9:11 बजे तक (17 सितंबर 2025)

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Indira Ekadashi 2025 fast and Parana Muhurta

एकादशी तिथि आरंभ: 17 सितंबर, दोपहर 12:21 बजे

एकादशी तिथि समाप्त: 17 सितंबर, रात 11:39 बजे

व्रत पारण: 18 सितंबर, सुबह 6:07 बजे से 8:34 बजे तक

क्या कहते हैं धर्मग्रंथ और पंडित?

कर्तव्य को प्राथमिकता: श्राद्ध कर्म संतान का एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है। यह पितरों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है।

धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि कर्तव्य का पालन किसी भी पूजा या व्रत से पहले आता है।

व्रत भंग नहीं होता: एकादशी व्रत के दौरान पितृ श्राद्ध करने से व्रत भंग नहीं होता। बल्कि, यह व्रत के महत्व को और बढ़ा देता है।

श्राद्ध कर्म में पितरों को भोजन दिया जाता है, और चूंकि यह कार्य पितरों के लिए है, इसलिए इसे व्रत के नियमों का उल्लंघन नहीं माना जाता।

एक दिन में दोनों संभव: यह माना जाता है कि एकादशी के दिन पितृ श्राद्ध और व्रत दोनों का एक साथ पालन करना संभव है।

आप सुबह श्राद्ध की सभी क्रियाएं जैसे तर्पण और पिंडदान करें। इसके बाद, आप एकादशी का व्रत शुरू कर दें। इससे न तो आपके पितरों का श्राद्ध छूटेगा और न ही आपका एकादशी व्रत।

Inauspicious Yoga on Indira Ekadashi 2025

इस वर्ष यह दिन परिघ योग से मेल खा रहा है, जिसे वैदिक ज्योतिष में अशुभ माना जाता है।

यह बाधाओं, देरी और निराशाओं से जुड़ा है। चूँकि शनि वक्री है, इसलिए इस योग के दौरान शुभ कार्यों से बचना चाहिए।

यह योग 17 सितंबर को दोपहर 12:34 बजे से रात 10:55 बजे तक रहेगा।

इंदिरा एकादशी 2025 व्रत विधि

सूर्योदय से पहले उठें और गंगाजल और तिल की कुछ बूंदें मिलाकर शुद्ध जल से स्नान करें।

भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने बैठकर व्रत, पूजा और दान का संकल्प लें।

अनाज और चावल का सेवन न करते हुए कठोर व्रत रखें। केवल बिना नमक वाले फल ही खाने चाहिए।

सिंदूर, फूल, भोग चढ़ाएं और भक्तिपूर्वक आरती करें।

भगवान विष्णु के सम्मान में रात्रि जागरण करें और अगली सुबह पारण के समय व्रत पूरा करें।

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