रूपनगर (पंजाब) | एस्ट्रोलोजर अनिल कौशल
(Beginning of Sharadiya Navratri 2025) शारदीय नवरात्रि की शुरुआत सोमवार, 22 सितंबर 2025 से हो रही है।
नौ दिनों तक मां भवानी के नौ रूपों की पूजा का विधान है।
यह पावन पर्व 1 अक्टूबर 2025 तक चलेगा और इसके अगले दिन, गुरुवार 2 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी।

➡️ घटस्थापना एवं पूजन विधि
नवरात्रि का पहला दिन आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना के लिए समर्पित है। इस दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
👉 Study and job में ऊंचाई तक आपको कैसे पहुंचाता है बुध, देखें यह VIDEO.
➡️ शुभ मुहूर्त (Ghatasthapana Muhurat)
- सुबह : 06:09 से 08:06 तक
- दोपहर : 11:49 से 12:38 तक
इस वर्ष नवरात्रि का प्रारंभ सोमवार को हो रहा है और उस दिन हस्त नक्षत्र का संयोग भी रहेगा।
सोमवार के दिन मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी, जिसे अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना गया है।

➡️ नवरात्रि पूजा सामग्री सूची
लाल/पीला कपड़ा, अक्षत, रोली, हल्दी, कुमकुम, दीपक, घी, बाती, माचिस, धूप-अगरबत्ती, नारियल, सुपारी, फूल, पान के पत्ते, कलावा, चुनरी, मिठाई व भोग।
VIDEO: गण्डमूल दोष से लेकर आर्थिक सफलता तक! जानिए ग्रहों की चाल
कलश स्थापना के लिए:
मिट्टी का पात्र, शुद्ध मिट्टी, जौ/गेहूं के बीज, कलश, गंगाजल, आम/अशोक के पत्ते, नारियल, लाल वस्त्र, मौली, सुपारी, सिक्का, हल्दी।

➡️ घटस्थापना विधि
- सबसे पहले पूजास्थल को शुद्ध करें।
- मिट्टी के पात्र में जौ/गेहूं के बीज बोकर उसे पवित्र बनाएं।
- कलश में गंगाजल, सुपारी, हल्दी, सिक्का और अक्षत डालें।
- कलश के मुख पर आम/अशोक के पत्ते रखें और ऊपर लाल वस्त्र में लिपटा नारियल रखें।
- मंत्रोच्चारण के साथ कलश की स्थापना करें और नवरात्रि व्रत/पूजा का संकल्प लें।
➡️ नवरात्रि में पूजन नियम
- रोज़ाना सुबह और शाम दीपक जलाकर आरती करें।
- दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

➡️ देवी शैलपुत्री की शक्ति
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
शैलपुत्री का अर्थ है – पर्वतराज हिमालय की पुत्री।
पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सती ने जब अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर अग्निकुंड में देह त्याग दी, तब वे अगले जन्म में हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में जन्मीं।
यही माता शैलपुत्री कहलाती हैं।

माता शैलपुत्री घोड़े, हाथी, नंदी और सिंह पर आरूढ़ होकर वे भक्तों का कल्याण करती हैं।
इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता, दृढ़ता और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है।
Maa Shailputri Mantra
पूजन के समय यह मंत्र बोलें:
“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।”
प्रार्थना करें:
“वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥”
इस मंत्र का जप करने से मन शुद्ध होता है, जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
नवरात्रि के ये नौ दिन साधना, भक्ति और शक्ति आराधना के लिए विशेष माने जाते हैं।
