Mindfulness and Mantras: बेचैन मन को कैसे मिलता है ठहराव

Rupnagar (Punjab) | एस्ट्रोलॉजर अनिल कौशल

(Simple tips for beginners) क्या आपने कभी महसूस किया है कि किसी शब्द को बार-बार दोहराने या कोई धुन गुनगुनाने से तनाव कम हो जाता है? यही है ध्वनि की शक्ति—और इसी कारण मंत्रोच्चारण (Mantra Chanting) हजारों वर्षों से चला आ रहा है।

ऋषि-मुनियों ने “ॐ,” “गायत्री मंत्र,” या “महामृत्युंजय मंत्र” के चमत्कारी प्रभावों को अनुभव किया था। लंबे समय तक इसे अंधविश्वास माना गया, लेकिन अब आधुनिक विज्ञान भी मानने लगा है कि मंत्रोच्चारण सचमुच मस्तिष्क को रीवायर करता है, तनाव घटाता है और मानसिक स्पष्टता लाता है।


मंत्रोच्चारण की प्राचीन जड़ें

संस्कृत शब्द “मंत्र” का अर्थ है—मन का उपकरण। प्राचीन भारत में ध्वनि को ऊर्जा माना गया। हर अक्षर को एक विशेष कंपन और आवृत्ति (frequency) का स्रोत समझा गया जो शरीर और मन पर गहरा प्रभाव डालता है।

  • गायत्री मंत्र – ज्ञान और बुद्धि की ज्योति प्रज्वलित करता है।
  • महामृत्युंजय मंत्र – रोग और भय से मुक्ति का साधन माना जाता है।
  • – सृष्टि का मूल नाद, जो पूरे ब्रह्मांड में गूंजता है।

मंत्रोच्चारण केवल धर्म तक सीमित नहीं था, बल्कि यह चेतना की तकनीक (Technology of Consciousness) था।


विज्ञान क्या कहता है?

आधुनिक न्यूरोसाइंस और मनोविज्ञान ने यह सिद्ध किया है कि मंत्रोच्चारण मस्तिष्क और शरीर पर गहरे असर डालता है।

  • न्यूरोप्लास्टिसिटी (Neuroplasticity): बार-बार मंत्र जप करने से मस्तिष्क में नई तंत्रिकीय राहें (Neural Pathways) बनती हैं, जिससे शांति और एकाग्रता बढ़ती है।

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  • वागस नर्व का सक्रिय होना: मंत्रोच्चारण सांस को धीमा करता है और वागस नर्व को उत्तेजित करता है, जिससे दिल की धड़कन और तनाव हार्मोन नियंत्रित होते हैं।

  • मस्तिष्क तरंगें (Brainwaves): जप करने से अल्फा और थीटा तरंगें बनती हैं जो ध्यान, शांति और रचनात्मकता से जुड़ी होती हैं।

  • खुशी के हार्मोन: डोपामाइन और सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है, जिससे चिंता और अवसाद घटता है।

👉 2016 में हांगकांग यूनिवर्सिटी के शोध में पाया गया कि “ॐ” का जप करने से मस्तिष्क का अमिग्डाला (तनाव और भय केंद्र) निष्क्रिय हो जाता है, जिससे गहरी शांति मिलती है।


“ॐ” का विज्ञान – सिर्फ ध्वनि नहीं, कंपन की शक्ति

“ॐ” को आदि नाद कहा जाता है। इसके तीन स्वर (A-U-M) शरीर में अलग-अलग जगह कंपन उत्पन्न करते हैं:

  • “A” – नाभि और पेट में कंपन।
  • “U” – छाती और गले में गूंज।
  • “M” – मस्तिष्क और खोपड़ी में कंपन।

MRI स्कैन से पता चलता है कि ॐ जप करने से मस्तिष्क के दोनों हिस्सों (बाएँ और दाएँ hemisphere) में सामंजस्य बनता है।


मंत्र – माइंडफुलनेस का साधन

जैसे सांस पर ध्यान लगाना ध्यान का हिस्सा है, वैसे ही मंत्रोच्चारण भी मन को केंद्रित करने का साधन है। फर्क सिर्फ इतना है कि इसमें ध्वनि और कंपन की शक्ति भी जुड़ जाती है, जिससे बेचैन मन को भी स्थिर करना आसान हो जाता है।


भावनात्मक उपचार में मंत्रोच्चारण

मंत्रोच्चारण केवल शांति नहीं देता, बल्कि दबी हुई भावनाओं को भी बाहर लाता है।

  • चिंता में: जप की लय (rhythm) दौड़ते विचारों को धीमा कर देती है।
  • शोक में: ध्वनि हृदय चक्र को संतुलित कर सुकून देती है।
  • क्रोध में: मंत्र की पुनरावृत्ति ऊर्जा को शांत और रचनात्मक दिशा देती है।

आज कई थेरेपिस्ट भी साउंड मेडिटेशन को भावनात्मक उपचार के रूप में सुझा रहे हैं।


आधुनिक मनोविज्ञान और मंत्र

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) मानती है कि सकारात्मक विचारों की पुनरावृत्ति सोचने के पैटर्न बदल देती है। मंत्र भी यही कार्य करते हैं, लेकिन उनसे संस्कृति और कंपन की गहराई जुड़ी होती है।

👉 जैसे प्रतिदिन “ॐ शांति” या “मैं शांत हूं” का जप करने से मन धीरे-धीरे नकारात्मकता छोड़कर शांति अपनाता है।


मंत्रोच्चारण के वैज्ञानिक लाभ

✅ तनाव और चिंता में कमी
✅ एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि
✅ भावनात्मक संतुलन
✅ गहरी नींद और बेहतर इम्युनिटी
✅ रचनात्मकता और मानसिक स्पष्टता


कैसे शुरू करें मंत्रोच्चारण?

  1. एक मंत्र चुनें – “ॐ,” “गायत्री,” या “महामृत्युंजय”।
  2. समय तय करें – सुबह या शाम 5-10 मिनट।
  3. शांत स्थान चुनें।
  4. गहरी सांस लें और धीरे-धीरे जप करें।
  5. 21 या 108 बार दोहराएं।
  6. नियमित अभ्यास करें।

विज्ञान और आध्यात्म का संगम

कभी जिसे केवल आस्था माना जाता था, आज वही विज्ञान द्वारा सिद्ध हो चुका है। मंत्रोच्चारण न केवल अतीत का आध्यात्मिक अभ्यास है बल्कि वर्तमान और भविष्य की प्राकृतिक चिकित्सा है।

ध्वनि की यही चिकित्सा हमें यह सिखाती है—
👉 “स्वर में छिपी शक्ति से मन को चंगा किया जा सकता है।”

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