रूपनगर (पंजाब) | एस्ट्रोलोजर अनिल कौशल
(Last lunar eclipse of the Year) वैदिक ज्योतिष में ग्रहण को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, जबकि विज्ञान इसे केवल एक खगोलीय घटना मानता है।
पंचांग के मुताबिक, 7 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत होने वाली है और साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 7 सितंबर, रविवार को लग रहा है।
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ज्योतिषियों के मुताबिक, दोनों घटनाओं का एक ही दिन में होना बहुत ही प्रबल संयोग माना जा रहा है।
यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और यह ब्लड मून भी रहेगा, जिसका ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व है।

ज्योतिषीय गणना के अनुसार, यह चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को रात 9:58 बजे शुरू होगा और देर रात 1:26 बजे समाप्त होगा।
इस दौरान, सूतक काल ग्रहण के 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाएगा। जिसमें में किसी भी प्रकार का शुभ और धार्मिक कार्य नहीं किया जाता।
जब चंद्र ग्रहण की शुरुआत हो तो उस समय भूल से भी खाना खाने से बचें और सोने से बचें।

ग्रहण शुरू: रात 9:58 बजे
ग्रहण समाप्त: देर रात 1:26 बजे
सूतक काल शुरू: दोपहर 12:58 बजे से (लगभग) और समाप्ति 8 सितंबर की देर रात 1 बजकर 26 मिनट पर होगी।
ग्रहण के दौरान क्या न करें:
शुभ कार्य: ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, मुंडन या गृह प्रवेश न करें।
पूजा-पाठ: मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, इसलिए पूजा-पाठ से बचना चाहिए।
भोजन: ग्रहण के समय खाना पकाने या खाने से परहेज करें।
नुकीली वस्तुएं: नुकीली या धारदार वस्तुओं का उपयोग न करें।

ग्रहण के दौरान क्या करें:
इस दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए। उन्हें घर के भीतर ही रहना चाहिए और ग्रहण को सीधे देखने से बचना चाहिए। नुकीली या धारदार वस्तुओं का उपयोग न करें।
स्नान: गंगाजल मिले पानी से स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
घर की सफाई: पूरे घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
दान: बुरे प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण के बाद गरीबों को दान जरूर देना चाहिए।

इस खास दिन पितरों को करें याद
- इस दिन एक लोटे में जल लें और उसमें काले तिल डालें फिर, पितरों का नाम लेकर और मंत्रों का जाप करते हुए उनका तर्पण करें।
- इसके अलावा, ग्रहण के समय घर की दक्षिण दिशा में एक दिया जलाएं। उसके सामने थोड़ी देर आंखें बंद करके शांति से बैठें और अपने पूर्वजों को याद करें।

इसके अलावा, इस दिन पितरों के नाम का नाम दान जरूर करें। साथ ही इस दिन गाय, कुत्ते, पक्षियों को खाना खिलाना और पानी पिलाना बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है।