जब बुध फंसता है शनि की छाया में: प्रतिभा का उदय या हीनभावना का पतन?

Rupnagar (Punjab) | Astrologer Anil Kaushal

(When Mercury comes into the shadow of Saturn) सिलसिलेवार लर्निंग में हम लगातार बुध ग्रह (Mercury) के रहस्यों और उसके गहरे प्रभावों की चर्चा कर रहे थे।

अब तक आपने जान लिया है कि बुध ग्रह आपके जीवन में किन-किन रूपों में असर डालता है।

लेकिन असली प्रभाव तब सामने आता है, जब बुध किसी अन्य ग्रह के साथ युति करता है।

क्योंकि युति केवल ग्रहों का साथ बैठना नहीं है, बल्कि यह आपके व्यक्तित्व, सोच और भाग्य की नई दिशा तय करती है।

आज हम बात करेंगे एक बेहद खास संयोजन की— बुध और शनि की युति।

जब Mercury (बुध) और Saturn (शनि) किसी एक ही घर (House) में आपकी जन्मकुंडली में साथ बैठते हैं, तो यह मिलन आपके जीवन में गहरे और दूरगामी प्रभाव लेकर आता है।

(VIDEO:- Mercury in Virgo: जब दिमाग बनता है विश्लेषण और ज्ञान का खजाना)

यह युति आपकी सोचने की क्षमता, निर्णय लेने के तरीके और जीवन की चुनौतियों को झेलने की शक्ति को एक अलग ही अंदाज़ देती है।


Rule number 1 – बुध और शनि की युति का गहरा असर

यह नियम बताता है कि जब बुध (Mercury) और शनि (Saturn) एक ही घर में साथ बैठते हैं, तो व्यक्ति के व्यक्तित्व पर इसका गहरा असर पड़ता है।

बुध मूलतः एक चपल, बुद्धिमान और एक्टिव ग्रह है—यह तीव्र सोच, संवाद की शक्ति और चतुराई देता है।

लेकिन जैसे ही यह शनि के कठोर प्रभाव में आता है, इसकी ऊर्जा दबने लगती है।

परिणामस्वरूप, जातक:

  • धूर्तता और मनमर्जी का शिकार हो जाता है।
  • वरिष्ठ या सीनियर की बातों को न मानने वाला बन जाता है।
  • हर किसी को टिच गिनने वाला स्वभाव धारण कर लेता है।
  • बिना कारण निराशावादी सोच से ग्रसित हो जाता है।

इस स्थिति में व्यक्ति मानसिक हीनभावना से भर जाता है। उसके अंदर आगे बढ़ने की इच्छाशक्ति कमजोर हो जाती है। मौकों को पकड़ने के बजाय वह उन्हें खो देता है।

उसकी सोच इतनी नकारात्मक हो जाती है कि वह अपने ही हाथों सफलता के दरवाजे बंद कर देता है।

यदि इसी युति को राहु या केतु जैसे ग्रह देख रहे हों, तो यहां प्रभाव सकारात्मक भी हो जाता है।

बचाव और सकारात्मक रूप

हालांकि, यह युति हमेशा नकारात्मक नहीं होती।

कई बार जब:

  • बुध और शनि एक ही घर में हों लेकिन डिग्री का फासला अधिक हो (कम से कम 15 डिग्री या अलग-अलग नक्षत्रों में),
  • या यदि इस युति पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ जाए,
  • या पांचवें भाव का स्वामी इसमें आकर संतुलन बना दे,

तो नतीजे पूरी तरह बदल जाते हैं।

ऐसी दशा में व्यक्ति:

  • अत्यधिक बुद्धिमान और अनुशासित बनता है।
  • जीवन में अवसरों का लाभ उठाने के लिए सजग रहता है।
  • जब सूर्य का प्रभाव भी जुड़ जाए, तो उसका आत्मविश्वास और भी मजबूत हो जाता है।
  • और यदि चंद्रमा बलवान हो, तो जातक दायरे में रहकर असाधारण तरक्की करता है।

बुध-शनि की युति व्यक्ति के जीवन को या तो गहरी निराशा की ओर धकेल देती है, या फिर उसे अनुशासन और बुद्धिमत्ता से नई ऊँचाइयों तक पहुँचा देती है।

अंतर बस इतना है कि किस ग्रह की दृष्टि और किस हद तक की दूरी इस युति को नियंत्रित कर रही है।


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