क्या आंखों की सूजन का कारण आपकी कुंडली में छुपा है? Learn Astrology with Anil Kaushal

(Mercury’s Aspect and Health: Is Eye Swelling Hidden in Your Horoscope?) आज का विषय बेहद दिलचस्प है। हम चर्चा करेंगे बुध ग्रह से जुड़े कुछ खास नियमों और उसके प्रभावों पर — खासतौर पर आंखों की सूजन जैसे संकेतों के संदर्भ में।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध की केवल एक दृष्टि होती है — सातवीं दृष्टि। जब बुध किसी विशेष भाव में स्थित होता है और अपनी सातवीं दृष्टि से रोग भाव (छठा) या आयु भाव (आठवां) को देखता है, तो यह आंखों में सूजन जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

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उदाहरण के लिए, यदि बुध दूसरे भाव में स्थित हो, तो उसकी सातवीं दृष्टि आठवें भाव पर पड़ती है। इसी तरह, यदि बुध बारहवें भाव में बैठा हो, तो वह सातवीं दृष्टि से छठे भाव को देखता है। इन स्थितियों में, यदि बुध पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव आए — जैसे शनि, राहु, केतु या मंगल की दृष्टि या गोचर — तो व्यक्ति को आंखों में सूजन की समस्या हो सकती है।

दूसरा महत्वपूर्ण अवलोकन यह है कि जिस राशि में बुध स्थित होता है, यदि उस राशि का स्वामी ग्रह छठे, आठवें या बारहवें भाव में चला जाए, तो यह शिक्षा में बाधा उत्पन्न करता है।

बुध ग्रह बुद्धि, शिक्षा और संप्रेषण (कम्युनिकेशन) का कारक माना जाता है। इसलिए जब इससे संबंधित कारक प्रभावित होते हैं, तो व्यक्ति की पढ़ाई में समस्याएं आने लगती हैं।

उदाहरण के लिए, कालपुरुष की कुंडली में यदि बुध लग्न (पहले भाव) में बैठा है, तो वह मेष राशि में स्थित होगा — जिसका स्वामी मंगल है।
यदि बुध दूसरे भाव में बैठता है, तो वह वृषभ राशि में होगा — जिसके स्वामी शुक्र हैं।
अगर बुध चौथे भाव में बैठता है, तो वह कर्क राशि में होता है — जिसका स्वामी चंद्रमा है।
और यदि बुध पंचम भाव में बैठता है, तो वह सिंह राशि में स्थित होगा — जिसका स्वामी सूर्य है।

अब यदि इन स्थितियों में राशि स्वामी (जैसे मंगल, शुक्र, चंद्र या सूर्य) छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हों, तो वे शिक्षा में अड़चनों का संकेत देते हैं। चूंकि बुध स्वयं शिक्षा का प्रतिनिधि ग्रह है, तो इस पर अप्रत्यक्ष रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

इसलिए कुंडली में न केवल बुध की स्थिति बल्कि उसके राशि स्वामी की स्थिति भी शिक्षा से जुड़े परिणामों को प्रभावित करती है।

तीसरे अवलोकन के अनुसार, यदि बुध अपनी ही राशि में होकर पहले, चौथे या दसवें भाव में स्थित हो, तो वह जातक को अत्यंत चतुर, चालाक और बुद्धिमान बनाता है।

अब यह व्यक्ति अच्छा वक्ता होगा या नहीं — यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि तीसरे भाव का क्या हाल है, और उसका स्वामी किस स्थिति में है। क्योंकि तीसरा भाव और उसका स्वामी वाणी, अभिव्यक्ति और संप्रेषण क्षमता से जुड़े होते हैं।

हालांकि, एक बात निश्चित रूप से कही जा सकती है — यदि बुध केंद्र (1st, 4th या 10th भाव) में बैठा हो और वह भी अपनी ही राशि में, तो ऐसा व्यक्ति स्वाभाविक रूप से बहुत चतुर, सूझबूझ वाला और रणनीतिक सोच वाला होता है, भले ही वह वक्ता हो या न हो।

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