सूर्य
(सात्विक, अग्निवत्, क्षत्रिय)
सूर्य स्वास्थ्य, पिता, शक्ति, अधिकार, यश-कीर्ति, सरकार, शनि, शुक्र राजसिक, औषधी, आंखों के रोगों, ऊन, लकड़ी या इमारती लकड़ी, पूजा स्थल, दलाली, रक्त संचार, चाचा, नौकरी (छठा भाव), आजीविका (दसवां भाव), साहस, पैतृक सम्पत्ति, सम्माननीय शक्ति या बल, अग्नियों, हड्डियों, पेट का कारक है।
मित्रः चन्द्रमा, मंगल, बृहस्पति
शत्रुः शनि, शुक्र
समः बुध
स्वामी: सिंह
मूलत्रिकोण: सिंह
उच्चः मेष
नीचः तुला
भाग्य रत्न: रुबी, रक्तमणी (तामडा)
भाग्य रंग: नारंगी, केसरी, हल्का लाल
अधिदेवताः . शिव, अग्नि, रुद्र, भगवान नारायण, सचिदानन्द।
बीज मंत्रः ॐ हं ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
व्यवसाय और कार्यक्षेत्रः अर्थ से जुड़ा कार्यक्षेत्र, शासक वर्ग, राजिक/सरकारी नियुक्ति, दण्डाधिकारी शासक, प्रशासक, ऊन का व्यापारी, दलाल, जंगलात का अधिकारी, निर्माता, आगे बढ़ाने वाला, स्वामी माइश या निरीक्षण करने वाला, संकेत देने वाला, छाया चित्रकार, जौहरी, चित्रकार.
विभिन्न ग्रहों के नक्षत्रों में स्थित होने पर सूर्य निम्नलिखित बिमारियां देने के लिए प्रवृत होता है:
सूर्यः फफोले वाला ज्वर(उभयभेदी ज्वर), चिड़िचिड़ाहट।
चन्द्रमाः तेज स्वभाव सम्बन्धित, निराशावादी।
मंगलः रक्त की कमी, न्यून रक्तचाप, शरीर का क्षय होना, चक्कर आना।
बुधः वातशूल और सिरदर्द (माइग्रेन)।
बृहस्पतिः पीलिया, जिगर/पित्ताशय के रोग।
शुक्रः जलन के साथ बारम्बार मूत्र त्यागने की इच्छा, मूत्राशय से सम्बन्धित और स्त्री जननांग सम्बन्धित रोग।
शनि : निम्न रक्त चाप।
राहुः मानसिक न्यनता, आलस्य, विस्मति।
केतुः निम्न रक्त चाप, गण्डमाला, छाति सम्बन्धित रोग।