Rupnagar (Punjab) | Astrologer Anil Kaushal
(Vishwakarma Day- A Festival of Work, Skill, and Prosperity) सृष्टि के प्रथम शिल्पकार, भगवान विश्वकर्मा की पूजा हर साल उस दिन की जाती है, जब सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करते हैं।
भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के स्वर्गलोक, भव्य महलों, द्वारका नगरी, इंद्रप्रस्थ और यहां तक कि भगवान शिव के त्रिशूल तथा भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र जैसे दिव्य अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया था।

इसी कारणवश, लोहा, औज़ारों और मशीनों को भगवान विश्वकर्मा का स्वरूप मानकर उनकी विशेष पूजा की जाती है। ऐसा करने से व्यवसाय में सफलता, उन्नति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
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पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 17 सितंबर 2025 को सूर्यदेव के कन्या राशि में प्रवेश करने के बाद भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी।

पूजा का समय:
प्रातः 6:07 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक, यह समय भगवान की पूजा और व्यवसायिक सफलता के लिए अत्यंत मंगलकारी माना गया है।
इस बार की विश्वकर्मा पूजा विशेष महत्व रखती है क्योंकि इस दिन बन रहे हैं पांच दुर्लभ योग जो इसे और भी शुभ बनाते हैं:

जिनमें –
🔹 अमृत सिद्धि योग – समृद्धि और उन्नति का आशीर्वाद
🔹 सर्वार्थ सिद्धि योग – सभी कार्यों में सफलता
🔹 गुरु पुष्य योग – धन, ज्ञान और भाग्यवृद्धि का उत्तम समय
🔹 शिवयोग – संकटों से मुक्ति और शांति की प्राप्ति
🔹 एकादशी का संयोग – पुण्य, भक्ति और मोक्षदायी अवसर
इन पांच दुर्लभ योगों का एकसाथ बनना इस वर्ष की विश्वकर्मा पूजा को अत्यंत शुभ और फलदायी बनाता है।

भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड के दिव्य वास्तुकार, इंजीनियर और शिल्पकार माना जाता है। इसलिए विश्वकर्मा दिवस के दिन खासकर कारखानों, कार्यशालाओं, दफ्तरों, दुकानों और घरों में औजारों, मशीनों, वाहनों और उपकरणों को पूरी श्रद्धा के साथ साफ करके सजाया जाता है।
उपकरणों एवं मशीनों को भगवान विश्वकर्मा का स्वरूप मानकर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है ताकि इससे काम में कुशलता, लाभ और प्रगति बनी रहे।
इस दिन व्यवसायिक कार्यस्थलों, दफ्तरों और फैक्ट्रियों को फूलों, तोरण, बंदनवार, रंगोली और दीपों से सजाया जाता है।

धार्मिक अनुष्ठान
भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र की स्थापना की जाती है।
विधिवत मंत्रोच्चार, पूजा और हवन करके भगवान से आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है। कई जगह विशेष पंडाल लगाकर दरबार लगाया जाता है।
प्रसाद और भोग
पूजा के पश्चात मिठाइयों, फल, पंचामृत और अन्य प्रसाद का वितरण किया जाता है। कई जगह भंडारे और सामूहिक भोज का भी आयोजन होता है, जिसमें सभी लोग मिलकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
छुट्टी और उत्सव
कई कारखानों, औद्योगिक इकाइयों, दफ्तरों और फैक्ट्रियों में इस दिन विशेष अवकाश होता है।
कर्मचारियों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद, भजन-कीर्तन और विशेष उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिससे कार्यस्थलों पर उत्साह और उमंग का वातावरण बन जाता है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से:
* कार्य में सफलता मिलती है
* कारोबार में वृद्धि होती है
* औजारों और मशीनों की कार्यक्षमता बढ़ती है
* परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है
यह पर्व केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कर्म और सृजनशीलता का उत्सव भी है।