Venus: बरसेगी कृपा: पढ़ें शुक्र ग्रह के अधिदेवता, बीज और वैदिक मंत्र,जानें उपाय

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दोस्तों, हमारी इस सिलसिलेवार ज्योतिषीय यात्रा में अब तक हमने घर और राशियों की गहराई से चर्चा की। 12 के 12 घरों को विस्तार से समझा, उनकी विशेषताओं और प्रभावों को जाना।

हमने सूर्य, चंद्र और बुध ग्रह से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी को सरल भाषा में आपके सामने रखा, ताकि ज्योतिष को सीखना आपके लिए आसान हो सके।

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अब तक के इस सफर में मैंने आपके लिए करीब 120 वीडियो तैयार किए हैं, जिन्हें आप सभी का प्यार, लाइक और शेयर मिलता रहा है। इसके लिए मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

आज से हम नए अध्याय की शुरुआत करने जा रहे हैं। इस यात्रा में हम चर्चा करेंगे प्लेनेट वीनस, यानी शुक्र ग्रह की।

शुक्र ग्रह को ज्योतिष में प्रेम, आकर्षण, कला, धन, सौंदर्य और वैवाहिक सुख का कारक माना जाता है।

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आज हम विस्तार से समझेंगे कि शुक्र ग्रह का जीवन पर क्या असर होता है, और इसकी स्थिति आपकी कुंडली में क्या संकेत देती है।

शुक्र देव ज्योतिष शास्त्र में एक अत्यंत ज्ञानी ग्रह माने जाते हैं। इन्हें दैत्य गुरु भी कहा जाता है, ठीक वैसे ही जैसे वृहस्पति देव को देवगुरु कहा जाता है।

शुक्र देव का ज्ञान इतना गहरा और व्यापक है कि कई बार वे देवगुरु वृहस्पति पर भी भारी पड़ जाते हैं।

अगर आपने पौराणिक कथाएं पढ़ी हैं, तो आप जरूर जानते होंगे कि शुक्र देव का तंत्र, ज्योतिष, औषधि और पुनर्जन्म विद्या में कितना गहन ज्ञान है।

शुक्र ग्रह के मित्र, शत्रु और सम ग्रह

प्रिय मित्र ग्रह → शनिदेव और बुध देव

शत्रु ग्रह → सूर्य और चंद्रमा

सम ग्रह → देवगुरु वृहस्पति और भूमि पुत्र मंगल

यानी अगर शुक्र ग्रह की कुंडली में स्थिति शुभ हो, तो यह सौंदर्य, प्रेम, कला, भौतिक सुख, धन और वैवाहिक जीवन में अद्भुत परिणाम देता है।

लेकिन अगर शुक्र ग्रह पीड़ित हो, तो यह संबंधों में दरार, भौतिक सुखों में कमी और जीवन में असंतुलन भी ला सकता है।

शुक्र ग्रह: वीनस प्लेनेट का रहस्य और ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष की भाषा में शुक्र ग्रह यानी वीनस को दो राशियों का स्वामी माना जाता है —

वृषभ राशि (Taurus) और तुला राशि (Libra)।

यानी इन दोनों राशियों के स्वामी तत्व पर सीधा नियंत्रण शुक्र ग्रह का होता है।

हर ग्रह की तरह शुक्र ग्रह का भी एक मूल त्रिकोण, स्वग्रही राशि, उच्च राशि, नीच राशि और डिग्री होती है।

इन विवरणों को समझना ज्योतिष के अध्ययन में बेहद आवश्यक है।

शुक्र ग्रह का मूल त्रिकोण

तुला राशि में 0° से 15° तक शुक्र ग्रह को उनका मूल त्रिकोण क्षेत्र माना जाता है।

इस डिग्री पर शुक्र ग्रह अपनी सबसे मजबूत और प्रभावशाली स्थिति में रहते हैं।

उच्च (Exaltation) और नीच (Debilitation) स्थिति

उच्च राशि (Exaltation Sign) → मीन राशि (Pisces)

उच्चतम डिग्री → 27°
इस स्थिति में शुक्र ग्रह अपनी सबसे शक्तिशाली, शुद्ध और दिव्य ऊर्जा प्रदान करते हैं।

नीच राशि (Debilitation Sign) → कन्या राशि (Virgo)

नीचतम डिग्री → 27°
यहां शुक्र ग्रह अपनी सबसे कमजोर स्थिति में होते हैं और परिणामस्वरूप इनकी सकारात्मक शक्तियाँ काफी हद तक कम हो जाती हैं।

शुक्र ग्रह की कला और किरणें

शुक्र ग्रह को 12 कलाओं और 14 किरणों का स्वामी माना जाता है।
यही वजह है कि शुक्र ग्रह का सीधा संबंध कला, सौंदर्य, आकर्षण, प्रेम और रचनात्मकता से जोड़ा जाता है।

शुक्र ग्रह का स्वभाव

शुक्र ग्रह को स्त्री ग्रह माना जाता है, यानी ये ग्रह कोमलता, सौंदर्य, भावनाओं और आकर्षण का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ज्योतिष में इन्हें प्रेम, भौतिक सुख, कला, संगीत, वैवाहिक जीवन, विलासिता और रचनात्मकता का कारक ग्रह कहा जाता है।


शुक्र ग्रह का सौंदर्य और संवेदनशीलता

जब हम शुक्र ग्रह की बात करते हैं, तो केवल एक ग्रह की नहीं, बल्कि सौंदर्य, प्रेम, कला, आकर्षण और खुशियों के प्रतीक की चर्चा करते हैं।

शुक्र को ज्योतिष में जीवन के रंग, रिश्तों की मधुरता और भौतिक सुख-संपन्नता का कारक माना गया है।

शुक्र ग्रह की दिशा

दक्षिण-पूर्व (South-East) दिशा को शुक्र ग्रह की दिशा माना जाता है।

कहा जाता है कि यदि इस दिशा में सौंदर्य, कला, प्रेम और आनंद का वातावरण हो, तो शुक्र की ऊर्जा और भी प्रबल हो जाती है।

शुक्र ग्रह का रत्न

शुक्र ग्रह का प्रमुख रत्न है हीरा (Diamond)।

कहा जाता है कि यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो, तो शुद्ध हीरे का धारण करना उसके जीवन में प्रेम, आकर्षण, सौंदर्य और भौतिक सुख को बढ़ा सकता है।

लेकिन हर कोई हीरा अफोर्ड नहीं कर पाता। ऐसे में सफेद जरकन (White Zircon) को विकल्प रत्न के रूप में धारण किया जा सकता है।

जरकन भी शुक्र की ऊर्जा को सक्रिय करने में मदद करता है और जीवन में मधुरता, सामंजस्य और शांति लाता है।

शुक्र ग्रह के प्रिय रंग

शुक्र ग्रह खुशियों, आकर्षण और जीवन के सौंदर्य का प्रतीक है।

इनका प्रिय रंग है मैजेंटा (Magenta), जिसे हम गुलाबी (Pink) भी कहते हैं।

इसके अलावा, क्रीम रंग के वस्त्र और वस्तुएं भी शुक्र ग्रह के प्रिय मानी जाती हैं।

कोई भी रंग जिसमें खुशियों की चमक, मोहब्बत की मिठास और जीवन की हल्कापन झलकता हो, वह रंग शुक्र के दायरे में आता है।

शुक्र ग्रह की भाग्य संख्या

अंक ज्योतिष के अनुसार, शुक्र ग्रह की प्रिय संख्या 6 है।
इससे जुड़े अंक भी बेहद शुभ माने जाते हैं:

15 → (1 + 5 = 6)

24 → (2 + 4 = 6)

यदि आपकी कुंडली में शुक्र मजबूत हो और आपका जीवन संख्या 6 की ऊर्जा से जुड़ा हो, तो आप अक्सर सौंदर्य, प्रेम, कला और भौतिक सुख से भरपूर अनुभव करते हैं।

शुक्र ग्रह की कृपा कैसे प्राप्त करें

शुक्र ग्रह ज्योतिष में प्रेम, सौंदर्य, कला, धन, सुख-संपन्नता और वैवाहिक जीवन के कारक माने जाते हैं।

लेकिन कई बार ऐसा होता है कि शुक्र दशा या अंतर्दशा में भी हमें वह परिणाम नहीं मिलते, जिनकी हम उम्मीद करते हैं।

ऐसे समय में हमें शुक्र ग्रह के अधिदेवता को प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए।

  • शुक्र ग्रह के अधिदेवता

शुक्र ग्रह के अधिदेवता हैं:

शचि (इंद्राणी)

महालक्ष्मी

मान्यता है कि यदि आप इन अधिदेवताओं को प्रसन्न करते हैं, तो शुक्र ग्रह स्वतः ही शुभ फल देने लगता है।

आप पूजन, पाठ, मंत्र जाप और साधना के माध्यम से इनके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

शुक्र ग्रह का बीज मंत्र

ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः

इस बीज मंत्र का पाठ 6,000 बार करना अत्यंत शुभ माना गया है।

आप इसे अपनी सुविधा और समय के अनुसार छोटे-छोटे भागों में भी बांट सकते हैं।

यदि आप 600 जाप प्रतिदिन करते हैं → 10 दिनों में पूर्ण।

यदि आप 200 जाप प्रतिदिन करते हैं → 30 दिनों में पूर्ण।

महत्वपूर्ण शर्त → जितना जाप आप रोज़ ठानते हैं, उतना नियमित और निरंतर करना अनिवार्य है।

विशेष नियम:
मंत्र जाप की पूर्णाहुति के बाद, कुल जाप का 10% हवन करना आवश्यक होता है।
उदाहरण के लिए:

यदि आपने 6,000 जाप किए हैं, तो 600 आहुतियां हवन में अर्पित करनी होंगी।

शुक्र ग्रह का वैदिक मंत्र

हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम।
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम।।

इस वैदिक मंत्र का कोई विशेष संख्या-नियम नहीं है।

इसे आप किसी भी समय और जितनी बार चाहें कर सकते हैं।

अन्य प्रभावी मंत्र

ॐ शुक्राय नमः

यह साधारण शुक्र मंत्र है, जिसका जाप कभी भी, कहीं भी, कितनी भी बार किया जा सकता है।

इस मंत्र का नियमित जाप करने से शुक्र की ऊर्जा सक्रिय होती है,

और जीवन में सौंदर्य, आकर्षण, प्रेम, वैवाहिक सुख तथा धन-समृद्धि बढ़ती है।

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