नंदी: भक्तों की इच्छाओं का दिव्य संदेशवाहक
रूपनगर (पंजाब) | एस्ट्रोलोजर अनिल कौशल
(Telling wishes in the ears of Nandi) मंदिरों में भगवान शिव की पूजा के बाद नंदी के कान में इच्छा बताने की प्राचीन परंपरा है। इस सुंदर और रहस्यमय परंपरा के पीछे धार्मिक आस्था, पौराणिक कथाएँ और मनोवैज्ञानिक विश्वास छिपा है।
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नंदी का शिवभक्ति में स्थान
नंदी, भगवान शिव के प्रिय वाहन और परम भक्त हैं। शास्त्रों में उन्हें शिव का प्रमुख द्वारपाल एवं संदेशवाहक माना गया है।
माता–पिता की तरह मंदिर में शिवलिंग के ठीक सामने विराजमान रहते हैं, ताकि कोई भी भक्त अपने मन की बात उन तक पहुंचा सके।

किस कान में बोलें?
- अधिकतर धार्मिक ग्रंथों, पुराणों और परंपराओं के अनुसार, अपनी मनोकामना नंदी के बाएं (लेफ्ट) कान में धीरे से कहनी चाहिए।
- मान्यता है कि बाएं कान में कही गई मनोकामना नंदी सीधे भगवान शिव तक पहुंचाते हैं।
- कुछ परंपराओं में दाहिने (राइट) कान का भी उल्लेख मिलता है, लेकिन बाएं कान को ही प्रमुख महत्व दिया गया है।
- इच्छा बोलते समय, दूसरों को न सुनाई दे—इसलिए फुसफुसाकर बोलें और होठों को अपने दोनों हाथों से ढक लें।
- बोलने से पहले ‘ॐ’ या ‘ॐ नमः शिवाय’ का उच्चारण करें, यह शुभ माना जाता है।
- ध्यान रखें, जब बाएं कान में कहें तो दायां कान हल्के से बंद रखें—यह भी एक मान्यता है।
इच्छाओं के पूरे होने की मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने नंदी को वरदान दिया कि जो भी भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ उनके कान में अपनी मनोकामना कहेगा, नंदी उसे शिव तक पहुंचाएंगे और उसकी इच्छा पूरी होगी।
इस परंपरा का उद्देश्य जीवन के कष्ट या आकांक्षा को सीधे “दिव्य श्रवण” तक पहुंचाना है, जिसकी पुष्टि नंदी के रूप में होती है।
सही विधि (Rules & Rituals)
- सबसे पहले शिवलिंग एवं माता पार्वती की पूजा करें।
- नंदी भगवान की प्रतिमा के पास जाकर जल, फूल आदि अर्पित करें।
- अब बाएं कान में मन से ‘ॐ’ कहकर अपनी इच्छा धीरे से बोलें।
- हो सके तो दाएं कान को हल्के से ढक लें, ताकि बात सिर्फ नंदी तक पहुंचे।
- अपने दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करें, और कुछ पल शांत रहकर प्रार्थना करें।
- केवल शुभ और सकारात्मक इच्छाएँ ही रखें, किसी के लिए बुराई या नुकसान की कामना न करें।
निष्कर्ष
नंदी के बाएं कान में धीरे–धीरे मनोकामना कहने की यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि श्रद्धा, विश्वास और पूजा की सम्पूर्णता का सुंदर उदाहरण भी है। यह विश्वास है कि नंदी हमारी पुकार भगवान शिव तक पहुंचाकर मनोकामनाओं की पूर्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
“श्रद्धा और नियमों के साथ नंदी के कान में कही गई बात आपकी व्यथा, इच्छा या आकांक्षा को शीघ्र ही भगवान शिव तक पहुँचा सकती है। इसी कारण यह छोटी सी परंपरा भक्तों के लिए बड़ा समाधान बन जाती है!”
नोट: नंदी के कान में अपनी इच्छा बोलना हमेशा शुद्ध हृदय, श्रद्धा और अनुशासन के साथ करें, तभी यह परंपरा सार्थक होती है।
