रूपनगर (पंजाब)| एस्ट्रोलोजर अनिल कौशल
(Why is it necessary to chant God’s name?) वृंदावन के केलीकुंज में निवासरत संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज आधुनिक युग के एक प्रमुख आध्यात्मिक गुरु हैं। राधा रानी को अपना इष्ट मानने वाले महाराज जी की सरल और स्पष्ट शिक्षाएं सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं।

उनके वीडियो में भक्तों के सवालों के सरल और स्पष्ट उत्तर मिलते हैं, जो लोगों को भगवत प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं। उनका आध्यात्मिक ज्ञान कलयुग में एक प्रकाशस्तंभ की तरह है, जो लोगों को सही राह दिखा रहा है।
हाल ही में एक वायरल वीडियो में एक भक्त ने महाराज जी से पूछा कि “ऐसी कौन-सी बुराइयां हैं जो इंसान को कंगाल बना देती हैं?” इस पर प्रेमानंद महाराज ने बताया कि इच्छाएं और वासनाएं ही मनुष्य के जीवन में सबसे बड़ी बाधाएं हैं। ये विकार धीरे-धीरे उसे अंधकार की ओर ले जाते हैं और अंततः कंगाली के गर्त में धकेल देते हैं।
महाराज जी ने बताया कि मनुष्य के जीवन को नष्ट करने वाले 6 प्रमुख विकार हैं:
- काम (अनियंत्रित इच्छाएं) – जब इंसान अपनी जरूरत से ज्यादा चाहत रखता है, तो वह अशांति का शिकार हो जाता है।
- क्रोध (गुस्सा) – जल्दी गुस्सा करने वाला व्यक्ति अपनी बुद्धि खो देता है और गलत निर्णय लेता है।
- लोभ (लालच) – जरूरत से ज्यादा पाने की चाह व्यक्ति को कभी संतुष्ट नहीं होने देती।
- मोह (अत्यधिक लगाव) – किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थिति से इतना जुड़ जाना कि उसके बिना जीवन अधूरा लगे।
- मद (अहंकार) – खुद को सबसे बड़ा समझने की भावना इंसान को अकेला कर देती है।
- मत्सर (ईर्ष्या) – दूसरों की तरक्की देखकर जलना, जो मन को कमजोर बनाता है।

“ये विकार बनाते हैं इंसान को रोगी और नष्ट”
प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट किया कि ये छह दोष न सिर्फ आर्थिक तौर पर इंसान को कंगाल बनाते हैं, बल्कि शारीरिक और मानसिक रोगों का कारण भी बनते हैं। क्रोध से ब्लड प्रेशर, लोभ से तनाव और मोह से मानसिक अशांति जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। अहंकार और ईर्ष्या जैसे विकार संबंधों को तोड़ते हैं और जीवन को दुःखमय बना देते हैं।
समाधान: भगवान का नाम जप और सत्संग
महाराज जी ने बताया कि इन विकारों से मुक्ति पाने का एकमात्र उपाय भगवान का नाम जप और सत्संग है। उन्होंने कहा:
- “जब भी क्रोध आए, ‘हरि नाम’ का जाप करें।”
- “लोभ पर काबू पाने के लिए दान और सेवा करें।”
- “मोह से बचने के लिए यह समझें कि सब कुछ ईश्वर का है।”
- “अहंकार को दूर करने के लिए विनम्र बनें।”
- “ईर्ष्या से बचने के लिए दूसरों की सफलता में सहयोगी बनें।”
“जीवन को सरल और सात्विक बनाएं”
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि जो इन छह विकारों से दूर रहता है, उसका जीवन धन, स्वास्थ्य और शांति से भरपूर रहता है। अगर हम अपने मन को नियंत्रित कर लें और भगवान के भजन में लगाएं, तो सभी समस्याओं का समाधान स्वतः हो जाता है। इसलिए “आज ही इन विकारों से दूरी बनाएं और अपने जीवन को सुखमय बनाएं।”