जब ज्ञान और बुद्धि मिलते हैं एक जगह – जानिए क्या बदलता है आपकी जिंदगी में

रूपनगर (पंजाब) | एस्ट्रोलोजर अनिल कौशल

(When Mercury sits with some other planet instead of being alone) अब तक आप बुध ग्रह की स्थिति से जुड़े 18 महत्वपूर्ण नियमों को समझ चुके हैं। ये नियम जीवन के अनेक पहलुओं को खोलने वाली चाबी साबित होते हैं। आज हम चर्चा को एक और गहराई में ले जाते हैं—बुध ग्रह की युतियों पर।


जब आपकी जन्मपत्री में बुध अकेले न होकर किसी दूसरे ग्रह के साथ बैठता है, तो उसकी ऊर्जा, दिशा और प्रभाव पूरी तरह बदल जाते हैं। यही संगति तय करती है कि जीवन में आपके लिए अवसर बढ़ेंगे या चुनौतियां सामने आएंगी।

🔵 VIDEO: वृषभ में बुध की एंट्री दिलाती है जातक को मधुरता

इन युतियों में सबसे खास है बुध और बृहस्पति की युति। जब बुद्धि और ज्ञान के ये दो शक्तिशाली ग्रह एक ही घर में मिलते हैं, तो जातक के जीवन में अद्भुत परिवर्तन घटित होते हैं।

आज हम विस्तार से जानेंगे कि यह युति आपके व्यक्तित्व, करियर, शिक्षा और भाग्य को किस प्रकार प्रभावित करती है।

प्रभाव नंबर – 1

सबसे पहले बात करते हैं बुध और वृहस्पति की युति की।

आप जानते ही हैं कि बुध बुद्धिमत्ता, विश्लेषणात्मक क्षमता और गणितीय सोच का कारक है। वहीं दूसरी ओर, वृहस्पति देवगुरु हैं – वे ज्ञान, धर्म और गहरी समझ के प्रतीक माने जाते हैं।

अब जब ये दोनों ग्रह किसी एक घर में साथ आकर बैठते हैं, तो व्यक्ति के व्यक्तित्व में खास बदलाव दिखाई देता है। ऐसी युति जातक को संगीत और अभिनय का प्रेमी बना देती है। अक्सर यह भी देखा गया है कि ऐसे लोग स्वयं गाना गाने का शौक रखते हैं और मंच पर अभिनय करने की गहरी इच्छा उनके भीतर स्वाभाविक रूप से जन्म लेती है।

यही है बुध–वृहस्पति की युति का पहला प्रभाव और पहला नियम।

प्रभाव नंबर – 2

बुध और बृहस्पति दोनों ही ज्ञान और शिक्षा के देवता माने जाते हैं। इसलिए जब किसी जातक की कुंडली में इन दोनों ग्रहों का युति होती है, तो यह संकेत देता है कि वह व्यक्ति निश्चित रूप से शिक्षित और विद्वान होगा।

लेकिन यहां एक महत्वपूर्ण तथ्य भी छिपा है। यदि यह युति राहु, केतु या शनि जैसे ग्रहों से प्रभावित हो जाए—चाहे उनकी दृष्टि से, या उनके साथ बैठने से—तो इसका परिणाम उल्टा भी हो सकता है। इसी तरह, यदि छठे, आठवें या बारहवें घर का स्वामी इनके साथ बैठ जाए, तो बुध और बृहस्पति की यह शुभ युति अपनी शक्ति खोने लगती है।

ऐसी स्थिति में अक्सर देखा गया है कि जातक की आंखों की रौशनी कमजोर हो जाती है, और उम्र बढ़ने के साथ वह श्रवण शक्ति की कमी या बहरापन जैसी समस्याओं का शिकार भी हो सकता है।

प्रभाव नंबर – 3

यदि बुध और बृहस्पति की युति जन्मकुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो, तो जातक का व्यक्तित्व विशेष रूप से आकर्षक और सकारात्मक बनता है। ऐसे व्यक्ति प्रायः उदार, प्रसिद्ध और प्रियजनों, मित्रों व रिश्तेदारों के प्रिय होते हैं।

आम तौर पर ये भाव (छठा, आठवाँ और बारहवाँ) अन्य ग्रहों के लिए शुभ परिणाम देने वाले नहीं माने जाते। लेकिन जब बुध और बृहस्पति इन त्रिक स्थानों में साथ हों, तो यह संगति जातक को विशिष्ट बनाती है। यह उसे प्रसिद्धि, उदारता और अपनों के बीच सम्मान प्रदान करती है।

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