
Rupnagar (Punjab) | एस्ट्रोलॉजर अनिल कौशल
(Why Pitru Paksha is very amazing..) 21 सितंबर को लगने जा रहा सूर्य ग्रहण खगोलीय घटनाओं के लिहाज से बेहद खास माना जा रहा है।
यह सूर्य ग्रहण खास इसलिए भी है क्योंकि यह पितृपक्ष के अंतिम दिन, सर्वपितृ अमावस्या को लगने जा रहा है।
हालांकि, भारतीय खगोलप्रेमियों के लिए यह थोड़ी निराशा की बात होगी, क्योंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
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इस प्रकार यह सूर्य ग्रहण भारतीय उपमहाद्वीप से प्रत्यक्ष रूप में देखने को नहीं मिलेगा। इसलिए भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा।
साल 2025 का अंतिम सूर्य ग्रहण सांस्कृतिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी खास है।
इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सितंबर विषुव (Equinox) से ठीक एक दिन पहले, यानी 21 सितंबर 2025 (रविवार) को लग रहा है।

🌍 विषुव ग्रहण क्यों कहलाता है?
विषुव वह खगोलीय क्षण है जब सूर्य पृथ्वी की भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर होता है।
इस समय दिन और रात की लंबाई लगभग बराबर हो जाती है।
चूंकि यह ग्रहण 22 सितंबर 2025 के विषुव से ठीक पहले पड़ रहा है, इसलिए इसे “विषुव ग्रहण” कहा जा रहा है।
इस बार सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी की स्थिति ऐसी रहेगी कि भारत इसकी छाया क्षेत्र में नहीं आएगा, इसलिए यहां लोग इसे प्रत्यक्ष रूप से नहीं देख पाएंगे।

🕉️ पितृपक्ष से जुड़ा अनोखा संयोग
शुरुआत – 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण
समापन – 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण
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👉 इस कारण से 2025 का पितृपक्ष अत्यंत खास और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
☀️ 21 सितंबर 2025 – आंशिक सूर्य ग्रहण
यह आंशिक ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा केवल सूर्य के एक हिस्से को ढकेगा।
आसमान में अर्धचंद्राकार सूर्य का दृश्य बनेगा।
न्यूजीलैंड के ड्यूनिडिन जैसे दक्षिणी शहरों में यह दृश्य सबसे प्रभावशाली होगा, जहाँ सूर्य लगभग 72% तक ढका नजर आएगा।

📍 कहां दिखाई देगा?
दक्षिणी गोलार्ध के चुनिंदा क्षेत्र
न्यूजीलैंड, दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्से, अंटार्कटिका
ईस्टर्न ऑस्ट्रेलिया
साउथ पैसिफिक आइलैंड्स
🌍 कहां नहीं दिखेगा?
भारत
यूएई, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान
कनाडा और पूरा नॉर्थ अमेरिका
पूरा साउथ अमेरिका
एशिया के अधिकांश हिस्से
यूरोप और उत्तरी गोलार्ध का बड़ा भाग
साल 2025 का अंतिम सूर्य ग्रहण खगोलप्रेमियों के लिए बेहद खास है, लेकिन साथ ही कई देशों के लिए निराशाजनक भी।
एशिया और अमेरिका के करोड़ों लोग इस खगोलीय घटना का प्रत्यक्ष नजारा नहीं देख पाएंगे।
यह स्थिति हाल ही में लगे चंद्र ग्रहण के वैश्विक उत्साह के बिल्कुल विपरीत है।
भारत समेत एशियाई देशों में लोग इस सूर्य ग्रहण को केवल वैज्ञानिक रिपोर्ट्स या लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए ही देख सकेंगे।
⏰ सूर्य ग्रहण 2025 का समय (भारतीय समयानुसार)
शुरुआत : रात 11:00 बजे (21 सितंबर 2025)
समापन : 3:23 मिनट (22 सितंबर 2025 मध्यरात्रि)
यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में घटित होने वाला है।

यह सूर्य ग्रहण केवल दक्षिणी गोलार्ध के कुछ विशेष क्षेत्रों से ही दिखाई देगा।
भारत और एशिया उत्तरी गोलार्ध में स्थित हैं, जहां इस समय सूर्य और चंद्रमा की स्थिति ऐसी होगी कि ग्रहण का दृश्य संभव नहीं होगा।
हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व है।
इसे शुभ-अशुभ फल देने वाला माना जाता है।
परंपरा के अनुसार, ग्रहण के दौरान स्नान, दान और मंत्रजप किए जाते हैं।
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