Rupnagar (Punjab) | Astrologer Anil Kaushal
(Explores the root of fear through planetary influence) डर… एक ऐसी भावना जो हर किसी इंसान के भीतर होती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग मामूली-सी बात पर भी क्यों घबरा जाते हैं?
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क्या आप भी उन लोगों में से हैं, जिन्हें अचानक घबराहट या असुरक्षा अपने आगोश में घेर लेती है? आज हम इसी को लेकर चर्चा को बढ़ाएंगे और समझते हैं संबंधित ग्रहों का प्रभाव…

➡️ हमारे भीतर क्यों बढ़ती है भय की प्रवृत्ति?
जब व्यक्ति के भीतर आत्मबल और आत्मविश्वास की कमी आ जाती है, तो उसके मन में सुरक्षा की भावना बढ़ने लगती है।
कारणवश:
- अस्थिर मन,
- बेवजह की चिंता,
- नकारात्मक विचार — ये सब मिलकर व्यक्ति को और भी डरपोक बना देते हैं।
ज्योतिष कहता है कि यह केवल मानसिक कमजोरी नहीं है, इसके पीछे आपके ग्रहों की चाल उतनी ही जिम्मेदार होती है।
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आपके जन्म के समय ग्रहों की स्थिति तय करती है कि आप कितना साहसी होंगे या कितनी जल्दी डर के शिकार बन जाएंगे।
➡️ समझें कारक ग्रहों की स्थिति को, जो हमारे डर को बढ़ाती है?

चंद्रमा — भावनाओं का समुद्र, मन का स्वामी, शांति का दूत…
चंद्रमा को मन और भावनाओं का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है। लेकिन जब कुंडली में चंद्रमा अशुभ या दुर्बल स्थिति में हो, तो उसका असर सीधा आपके मानसिक संतुलन पर पड़ता है।
- ऐसे में व्यक्ति का मन अस्थिर हो जाता है…
जब चंद्रमा अपनी पूर्ण शक्ति में नहीं होता, तो व्यक्ति का आत्मबल भी कमजोर हो जाता है। और यही कमजोरी धीरे-धीरे व्यक्ति को भय की जकड़ में बांध देती है।
➡️ मंगल – साहस और पराक्रम का प्रतीक

मंगल, जिसे साहस, पराक्रम और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है, यह व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता और जोखिम उठाने की हिम्मत तय करता है। जबकि मंगल कमजोर या अशुभ स्थिति में होने पर..
- व्यक्ति का आत्मविश्वास टूटने लगता है…
- चुनौतियों का सामना करने की क्षमता घट जाती है
- निर्णय लेने में संकोच बढ़ जाता है
- हर नई स्थिति में घबराहट हावी हो जाती है
मजबूत मंगल व्यक्ति को अडिग आत्मविश्वास और अडोल साहस प्रदान करता है। लेकिन जब मंगल दुर्बल हो, तो हमारे भीतर का योद्धा धीरे-धीरे भय की छाया में दब जाता है।

➡️ राहु और केतु – भ्रम, भय और रहस्यों के स्वामी
राहु को माया, भ्रम और भटकाव का कारक माना जाता है, जबकि केतु अज्ञात भय, असुरक्षा और संशय का प्रतीक है।
जब ये दोनों ग्रह प्रतिकूल स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति के मन पर इनका गहरा प्रभाव पड़ता है।
राहु के अशुभ प्रभाव से मन भ्रमित हो जाता है, विचारों में अस्थिरता आ जाती है और नकारात्मक सोच धीरे-धीरे हमारी मानसिक शांति को छीन लेती है।

➡️ इसी प्रकार केतु की कमजोरी अज्ञात भय को जन्म देती है और व्यक्ति बिना किसी ठोस कारण के –
- घबराहट महसूस करता है,
- हर कदम पर असमंजस में फंसा रहता है,
- बार-बार अनचाही चिंताओं से घिरा रहता है।

➡️ भय से छुटकारा पाने के अचूक उपाय
यदि हमारी कुंडली में चंद्रमा, मंगल, राहु या केतु में से कोई भी ग्रह दुर्बल स्थिति में है, तो ये ज्योतिषीय उपाय आपके जीवन में साहस, आत्मबल और मानसिक शांति पैदा कर सकते हैं:
🔹1. प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें – हनुमान जी की कृपा से भय, शंका और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
🔸 2. भगवान शिव की पूजा और शिवलिंग पर अभिषेक करें – भगवान शिव की उपासना से मन को शांति, अंदरूनी स्थिरता और भयमुक्ति मिलती है।
🔹 3. स्नान, ध्यान और मंत्र-जाप को जीवन का हिस्सा बनाएं – प्रतिदिन शुद्ध स्नान से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। ध्यान मन को स्थिर करता है और मानसिक एकाग्रता बढ़ाता है।
इसके अलावा महामंत्र ॐ नमः शिवाय एवं ॐ हनुमते नमः का नियमित जाप हमारे आत्मबल को प्रबल बनाता है और शीघ्र भय को समाप्त करता है।
