
Rupnagar (Punjab) | Astrologer Anil Kaushal
(Kanya Pujan is performed with complete rituals) शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व पर कन्या पूजन एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पुण्यदायी अनुष्ठान है।
यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि नारी शक्ति के प्रति अगाध सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक है।
मान्यता है कि यदि कन्या पूजन को पूरे विधि-विधान, श्रद्धा और पवित्रता के साथ संपन्न किया जाए, तो मां दुर्गा स्वयं आपके घर पधारकर अपनी असीम कृपा बरसाती हैं।
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इस वर्ष, कन्या पूजन के लिए शुभ तिथियां, मुहूर्त और महत्वपूर्ण नियमों को जानना आपके लिए आवश्यक है, ताकि आप इस अवसर का पूर्ण लाभ उठा सकें।

कन्या पूजन 2025: शुभ तिथियां और मुहूर्त
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए दो प्रमुख तिथियां हैं:
- महाष्टमी: मंगलवार, 30 सितंबर 2025
- महानवमी: बुधवार, 1 अक्टूबर 2025
आप अपनी पारिवारिक परंपरा के अनुसार इन दोनों में से किसी भी दिन कन्या पूजन कर सकते हैं।

अष्टमी तिथि पर शुभ मुहूर्त:
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 29 सितंबर, शाम 4:31 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 30 सितंबर, शाम 6:06 बजे
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक (यह मुहूर्त पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है)
नवमी तिथि पर शुभ मुहूर्त:
- नवमी तिथि प्रारंभ: 30 सितंबर, शाम 6:06 बजे
- नवमी तिथि समाप्त: 1 अक्टूबर, शाम 7:01 बजे

प्रातःकाल से लेकर दोपहर तक का समय कन्या पूजन के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
कन्या पूजन की सरल और प्रभावी विधि:
1. कन्याओं का आमंत्रण और आयु सीमा:
पूजन के लिए 2 से 10 वर्ष की नौ कन्याओं को आमंत्रित करें। इन कन्याओं को देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। इनके साथ एक बालक (लंगूर) को भी भैरव बाबा के रूप में पूजने की परंपरा है।

2. स्वागत सत्कार:
जब कन्याएं आपके घर पधारें, तो पूरे परिवार के साथ उनका प्रेमपूर्वक स्वागत करें। उनके आगमन पर आप चाहें तो फूलों की वर्षा भी कर सकते हैं। स्वच्छ जल से उनके पैर धोएं और उन्हें एक साफ और आरामदायक आसन पर बिठाएं।
3. पूजन विधि:
कन्याओं के मस्तक पर रोली और अक्षत का तिलक लगाएं। मां दुर्गा को अर्पित की गई चुनरी या कलावा उनके हाथ में बांधें और पुष्प अर्पित करें। इसके बाद सभी कन्याओं और लंगूर की एक साथ आरती उतारें।

4. भोग-प्रसाद:
कन्याओं के लिए सात्विक और स्वादिष्ट भोजन तैयार करें। परंपरागत रूप से हलवा, पूड़ी और काले चने का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। भोजन को थाली में पूरी तरह से भरकर, आदर और प्रेम के साथ परोसें। ध्यान रहे कि भोजन आधा-अधूरा न हो।

5. दक्षिणा और उपहार:
भोजन के उपरांत कन्याओं को खाली हाथ विदा न करें। उन्हें अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, चुनरी, बिंदी, खिलौने या कोई अन्य छोटी-सी भेंट अवश्य दें। अंत में उनके चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान (Do’s and Don’ts)
- स्वच्छता: कन्या पूजन से एक दिन पूर्व ही घर की अच्छी तरह साफ-सफाई सुनिश्चित करें। पूजा स्थल को विशेष रूप से पवित्र और स्वच्छ रखें।
- आदर भाव: कन्याओं के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव या उन पर क्रोध न करें। उन्हें देवी का स्वरूप मानकर पूरे आदर और प्रेम से उनकी सेवा करें।
- सात्विकता: इस दिन घर में मांस, मदिरा या किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का प्रयोग वर्जित है। घर का वातावरण पूर्णतः सात्विक और भक्तिमय होना चाहिए।
कन्या पूजन के दिव्य लाभ
विधि-विधान से किया गया कन्या पूजन साधक के जीवन में अनेक सकारात्मक बदलाव लाता है:

- मां दुर्गा की कृपा: देवी भगवती का साक्षात आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- सुख-समृद्धि: घर में धन-धान्य और वैभव की वृद्धि होती है।
- मनोकामना पूर्ति: सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और परिवार में खुशहाली आती है।
- नकारात्मकता का नाश: घर से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां और बाधाएं दूर होती हैं।
- संतान सुख: संतान संबंधी समस्याओं का निवारण होता है और परिवार की रक्षा होती है।
इस नवरात्रि, इन सरल नियमों का पालन करते हुए कन्या पूजन का अनुष्ठान संपन्न करें और मां दुर्गा को अपने घर आमंत्रित कर उनका असीम आशीर्वाद प्राप्त करें।
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