Sawan Special: भस्म से शिव की आराधना कैसे बदलती है जीवन, सावन में शिवलिंग पर भस्म चढ़ाने के नियम और आध्यात्मिक लाभ, पढ़ें

रूपनगर (पंजाब) | एस्ट्रोलोजर अनिल कौशल

(Offering ash on Shivling brings worldly and spiritual peace) सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनका अभिषेक भस्म से किया जाता है। जहां अन्य देवी-देवता आभूषण और वस्त्र धारण करते हैं, वहीं महादेव अपने शरीर पर भस्म रमाते हैं। भस्म को नश्वरता का प्रतीक माना गया है, जो इस बात का संकेत देती है कि अंततः हम सभी को राख में ही मिल जाना है। इस प्रकार, भस्म परम सत्य का सूचक है और यह भी दर्शाती है कि संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है।

👉Trending Video: मुहूर्त में Sarvatobhadra Chakra का रहस्य

अगर आप भी इस सावन में शिवलिंग का भस्म से अभिषेक करने की सोच रहे हैं, तो आइए जानते हैं इसके लाभ और नियम।

शिवलिंग का भस्म से अभिषेक करने के लाभ

भगवान शिव को भस्म अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि शिवलिंग पर भस्म अर्पित करने से कई शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं:

  • कष्टों से मुक्ति: भस्म से शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करते हैं।
  • मोह-माया से मुक्ति: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भस्म अर्पित करने से व्यक्ति को मोह-माया के जाल से मुक्ति मिलती है और आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ने वालों को अलौकिक अनुभव प्राप्त हो सकते हैं।
  • नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: भस्म का अभिषेक करने से नकारात्मक ऊर्जा आसपास नहीं भटकती और बुरी नजर से भी बचाव होता है।
  • शांति और सद्भाव: यह घर में शांति, सद्भाव और संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। साथ ही, परिवार के सदस्यों का आत्मिक विकास भी होता है।
  • सांसारिक और आध्यात्मिक लाभ: भस्म से शिवलिंग का अभिषेक करने पर सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

शिवलिंग पर भस्म चढ़ाने के नियम

शिवलिंग पर भस्म अर्पित करते समय कुछ नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है:

  • स्नान-ध्यान: भस्माभिषेक करने से पहले स्नान आदि करके स्वयं को शुद्ध कर लें।
  • शुभ समय: भस्माभिषेक के लिए सुबह और सूर्यास्त के बाद का समय (प्रदोष काल) अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • पवित्र भस्म: इस बात का विशेष ध्यान रखें कि शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली भस्म पवित्र हो।
  • शुद्धता का स्रोत: भस्म अगर लकड़ी, गोबर या यज्ञ की अग्नि से बनी हो, तो इसे शुद्ध माना जाता है।
  • मंत्र जाप: भस्म लगाते समय भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप अवश्य करें।
  • तिलक धारण: शिवलिंग का भस्माभिषेक करने के बाद उस भस्म से स्वयं भी तिलक करें।

भस्म मंत्र:

भस्म धारण करने के लिए, आप “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप कर सकते हैं, या फिर शिवजी के विभिन्न अंगों पर भस्म लगाने के लिए अलग-अलग मंत्रों का उपयोग कर सकते हैं: 

  • ललाट (मस्तक): ॐ त्र्यायुषं जमदग्नेः
  • ग्रीवा (गर्दन): ॐ कश्यपस्य त्र्यायुषम्
  • भुजाएं: ॐ यद्देवेषु त्र्यायुषम्
  • हृदय: ॐ तन्नो अस्तु त्र्यायुषम्

भस्म धारण विधि:

  1. भस्म को जल या चंदन के साथ मिलाकर दोपहर से पहले लगाएं।
  2. मध्याह्न में चंदन के साथ और शाम को सूखा भस्म लगाएं।
  3. मध्यमा और अनामिका उंगली से दो रेखाएं खींचे और अंगूठे से बीच की रेखा विपरीत दिशा में खींचे।
  4. स्वयं को भी शिव पंचाक्षर मंत्र “नमः शिवाय” का उच्चारण करते हुए मस्तक, दोनों भुजाओं, हृदय और नाभि पर त्रिपुंड्र धारण करना चाहिए

Previous Post
Next Post