‘रक्षाबंधन’ (Raksha Bandhan) का वास्तविक अर्थ होता है ‘रक्षा का बंधन’।
Rupnagar (Punjab) | एस्ट्रोलोजर अनिल कौशल
रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम एवं बंधन को दर्शाता है। रक्षाबंधन या राखी का त्यौहार सदियों से मनाया जा रहा है जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना गया है। इस त्यौहार का मुख्य संदेश भाई और बहन के पवित्र बंधन को सम्मान देना होता है। ‘रक्षाबंधन’ (Raksha Bandhan) का वास्तविक अर्थ होता है ‘रक्षा का बंधन’।
तारीख: 9 अगस्त 2025 (शनिवार)
पूनम तिथि: श्रावण पूर्णिमा
चंद्रमा की स्थिति: कुंभ राशि में चंद्रमा
योग: शुभ योग – सिद्धि योग
राशियों पर प्रभाव: विशेष रूप से मिथुन, तुला, कुंभ राशि वालों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ रहेगा।

रक्षा बंधन मुहूर्त 2025 रक्षा बंधन मुहूर्त 2025
इस बार रक्षा बंधन 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। खास बात ये है कि इस दिन राखी 2025 Rakhi 2025 बांधने का शुभ समय सुबह से लेकर दोपहर तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि की बात करें तो पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे शुरू होगी और 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे खत्म होगी।
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 2025: सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक। इस बीच राखी बांधना शुभ माना जाएगा।
भद्रा काल: इस दिन का भद्रा काल 8 अगस्त की रात 1:52 बजे खत्म हो जाएगा, यानी राखी बांधने की सभी रस्में उसके बाद ही की जाएंगी।
इस रक्षाबंधन 2025 पर बन रहे हैं ये शुभ योग
यह रक्षा बंधन 2025 इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस पर्व की पवित्रता और महत्व को और बढ़ा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब ऐसे विशेष योग बनते हैं, तब कोई भी शुभ काम करना बेहद फलदायी होता है।
इस बार रक्षा बंधन के दिन सौभाग्य योग, शोभन योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। माना जाता है कि इन योगों में किए गए कार्य जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लेकर आते हैं। खासकर रक्षासूत्र बांधना, वचन देना और रिश्तों को मजबूत करने की हर रस्म इन शुभ योगों में करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
साथ ही, अगर दिन की बात करें तो बहुत ही शुभ मुहूर्त भी मौजूद हैं। सुबह का ब्रह्म मुहूर्त 4:22 बजे से 5:04 बजे तक रहेगा, जो आध्यात्मिक साधना और शुभ कार्यों के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। इसके अलावा दोपहर में अभिजीत मुहूर्त 12:17 बजे से 12:53 बजे तक रहेगा, जिसे किसी भी शुभ काम की सफलता के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है।
ऐसे अद्भुत संयोग में रक्षा बंधन का त्योहार मनाना न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि जीवन में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से रक्षा बंधन का महत्व
रक्षा बंधन केवल एक रक्षासूत्र नहीं, बल्कि ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने का एक आध्यात्मिक माध्यम भी है। जब बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तो वह चंद्रमा की भावनात्मक ऊर्जा और शनि की सुरक्षा शक्ति को जागृत करती है।
चंद्रमा: भावनाओं और रिश्तों का कारक। इस दिन पूर्णिमा का चंद्रमा रिश्तों में भावनात्मक गहराई लाता है।
शनि: रक्षा और कर्म का प्रतीक। भाई का वचन शनि की तरह अडिग होता है।
रक्षासूत्र और ग्रहों का संबंध
राखी का धागा केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि ऊर्जा का वाहक है। यदि राखी में लाल रंग हो, तो यह मंगल की ऊर्जा को सक्रिय करता है। पीला रंग गुरु की कृपा लाता है, और नीला रंग शनि की सुरक्षा को बढ़ाता है।
क्या करें इस रक्षा बंधन पर (ज्योतिषीय उपाय)
राखी बांधते समय भाई के माथे पर चंदन का तिलक लगाएं – गुरु की कृपा के लिए।
दुर्गा स्तुति से रक्षा मंत्र
“शंकरि भव रक्षा मे भ्रातृणां च सर्वदा।
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः।।”
अर्थ:
हे माता दुर्गा! आप मेरे भाई की सदा रक्षा करें। संकट के समय आपकी स्मृति से भय दूर होता है
दान करें: काले तिल या नीले वस्त्र – शनि की कृपा पाने हेतु।
राशि अनुसार रक्षा बंधन 2025 की भविष्यवाणी
राशि | भाई-बहन संबंधों में प्रभाव | सलाह |
---|---|---|
मेष | पुराने मतभेद दूर होंगे | भावनात्मक रूप से जुड़ने का प्रयास करें |
वृषभ | संबंधों में स्थिरता आएगी | उपहार में कुछ पारंपरिक दें |
मिथुन | संवाद बढ़ेगा, रिश्ते मजबूत होंगे | दिल की बात कहें |
कर्क | भावनात्मक उतार-चढ़ाव संभव | ध्यान से बात करें |
सिंह | भाई-बहन की जोड़ी चमकेगी | साथ में कोई पूजा करें |
कन्या | व्यावहारिकता बढ़ेगी | रिश्तों में नरमी लाएं |
तुला | प्रेम और सौहार्द बढ़ेगा | कोई सरप्राइज दें |
वृश्चिक | गहरे भावनात्मक जुड़ाव | पुरानी यादें ताज़ा करें |
धनु | यात्रा या मिलन संभव | साथ समय बिताएं |
मकर | रिश्तों में नई समझ आएगी | कोई वादा निभाएं |
कुंभ | चंद्रमा की कृपा से दिन शुभ | मन की बात साझा करें |
मीन | भावनात्मक गहराई बढ़ेगी | कोई आध्यात्मिक उपहार दें |
मिथुन राशि में गुरु का गोचर
- मिथुन राशि वाणी, बुद्धि, संचार और भाई-बहनों से जुड़ी होती है।
- गुरु का यहां गोचर संबंधों में संवाद और समझ को गहरा करेगा।